Patna News, जुही स्मिता,पटना: 1990 के दशक के सर्कस और आज की सर्कस में बहुत ज्यादा फर्क आ गया है. उस समय दर्शक ज्यादा होते थे. अब बहुत बदलाव आया है. लोग मनोरंजन के साधन आनलाइन तलाश लेते हैं. वहीं, जानवरों को सर्कस में लाने पर लगी रोक के बाद लोग सर्कस में कम आना पसंद करते हैं. आजकल के इस नये दौर में भले ही इंटरनेट में अनेक मनोरंजन के साधन आ चुके हैं, लेकिन सर्कस का वजूद आज भी देश में कायम है. इसमें अलग-अलग राज्यों और विदेश के पुरुष और महिला कलाकार है. खासकर महिलाएं स्टेज पर आकर हैरतअंगेज करतब कर सभी को अचंभित कर रही हैं. एक्रोबैट, एरियल सिल्क, ब्लाइंड कटिंग, साइकिल का स्टंट हो या फूट जगलिंग हर करतब में इनकी सालों का अभ्यास और धैर्य देखने को बखूबी मिलता है.

तालियों के साथ दर्शकों के चेहरे की खुशी बढ़ाती है मनोबल
नेपाल की रहने वाली सुरभि पिछले 20 सालों से सर्कस से जुड़ कर हुलाहुप करती आ रही हैं. घर की आर्थिक परेशानी की वजह से वह जब 9 साल की थी तो उसने कर्नाटक के सर्कस में काम करना शुरु किया. वहीं पर रहकर विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण लेना शुरु किया. अलग-अलग राज्यों में जाकर अपना करतब दिखा चुकी हैं. बेटी छोटी है तो मां के पास रहती हैं. रोजाना तीन शो होते हैं और शो से पहले रोजाना अपने करतब का प्रैक्टिस करती हैं. लोग जब करतब देख कर तालियां बजाते है तो मनोबल बढ़ता है.

अपने काम से मिलता है सुकून
पश्चिम बंगाल की रहने वाली हामिदा पिछले 22 सालों से सर्कस में एरियल सिल्क और साइकिल का करतब करती आ रही है. उनका पूरा परिवार सर्कस से जुड़ा हुआ है. बचपन से ही सर्कस में रही तो यहां के तौर तरीके और करतब अपने माता-पिता से सीखा. वह बताती हैं कि वह रोजाना दो घंटे का प्रैक्टिस करती हैं. उंचाई वाले करतब एरियल सिल्क में आपको पूरा ध्यान केंद्रित कर अलग-अलग मुद्राओं को उंचाई से सिल्क के कपड़े पर करना होता है. एक चूंक से आपको चोट लग सकती है. बावजूद इसके मुझे मेरा काम पसंद है.
इसे भी पढ़ें: Video: बिहार BJP के नेताओं में घमासान, MLA बोले- ‘आरके सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है’

आंख में पट्टी बांध कर ब्लाइंड कटिंग करना आसान नहीं
मणिपुर की रहने वाली दया रानी बताती हैं कि वह दसवीं पास हैं और छह सालों से सर्कस में हैं. उनके राज्य में तलवार और छुरी का करतब दिखाया जाता है जिसके लिए सालों की प्रैक्टिस होती है. हमारी टीम में कुल 16 लोग है जिसमें 8 लड़कियां हैं. ब्लाइंड कटिंग में आपकी आंखों को आटे से पहले ढका जाता है फिर पट्टी बांधी जाती है जिससे कुछ दिखे नहीं . फिर दो-तीन लड़कियां शरीर के अलग-अलग हिस्से में फल या सब्जी रखती है जिसे मुझे अंदाज से ढुंडकर तलवार से काटना होता है. प्रैक्टिस के दौरान कई बार चोट भी लगी है लेकिन 5-7 मिनट इस करतब को देखकर लोग आश्चर्य करते हैं.
बिहार की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें

तार पर चलकर कप और सॉसर को बैलेंस कर सिर पर रखती हैं
केरल की रहनेवाली बेबी नंगे पैर तार पर बैलेंस बनाकर अपने सिर पर कप और सॉसर बैलेंस करने के साथ साइकिल का भी करतब दिखाती है. सर्कस से वह चार साल की उम्र से जुड़ी. वह बताती हैं कि घर में पैसे की कमी थी और मेरी दीदी सर्कस में थी तो उनके कहने पर वहां के सर्कस में आयी. सर्कस के सारे करतब को सीखा. अभी पिछले डेढ़ साल से तार पर बैलेंस, एक्रोबैट और साइकिल का स्टंट कर रही हैं. तार पर बैलेंस करते वक्त ध्यान थोड़ा भी भटकता है चोट लगती है. कई बार चोट लगीं है लेकिन लोगों जब इसे देखकर रोमांचित होते तो लगता है मेहनत सफल हुई.
भाषा समझ नहीं आती है लेकिन लोगों की तालियां से उत्साह बढ़ता है
इथियोपिया की रहने वाली लिया पिछले दो साल से इस सर्कस से जुड़ कर फूट जगलिंग कर रही हैं. भारत में रहकर काम करना अच्छा लगता है. भाषा की दिक्कत होती है लेकिन अपने करतब से सभी का मनोरंजन करना पसंद है. अब थोड़ा बहुत अंग्रेजी और हिंदी समझ आने लगी है. फूट जगलिंग में वह टेबल और अन्य वस्तुओं को अपने पैरों से बैलेंस कर घुमाती हैं. इसे करने के लिए वह रोजाना दो घंटे की प्रैक्टिस करती हैं. आज के समय में सर्कस को लोगों की जरूरत है क्योंकि हम जैसे कलाकारों की यह रोजी रोटी है.
इसे भी पढ़ें: Patna Crime: गोलियों की तड़तड़ाहट से दहला दानापुर, अपराधियों ने 3 लोगों को मारी गोली