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Bihar Bhumi: नीतीश सरकार का ऐतिहासिक फैसला! शहरी क्षेत्रों में अब सीओ जारी करेंगे वंशावली, जमीन के झंझट होंगे खत्म

Bihar Bhumi: अब नगर निगम या नगर परिषद के दफ्तरों के चक्कर नहीं, न ही वंशावली को लेकर असमंजस. बिहार सरकार के नए फैसले ने शहरी नागरिकों के लिए जमीन से जुड़े एक बड़े झंझट को खत्म कर दिया है.

Bihar Bhumi: बिहार के शहरी इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए एक ऐसी खबर आई है जो उनके जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार से जुड़े पेचीदा मामलों को पल भर में सुलझा देगी. लंबे समय से नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस बात को लेकर परेशान थे कि उनकी वंशावली (Family Tree) आखिर कौन बनाएगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में तो सरपंच के पास यह अधिकार था, लेकिन शहरों में कोई स्पष्ट व्यवस्था न होने के कारण लोग दफ्तरों के चक्कर काटकर थक जाते थे. अब बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस भ्रम को पूरी तरह खत्म कर दिया है. सरकार ने एक क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए शहरी क्षेत्रों में वंशावली जारी करने की कमान अब सीधे अंचलाधिकारी (CO) के हाथों में सौंप दी है.

शहरी बिहार में वंशावली का रास्ता साफ

बिहार के नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए बड़ी प्रशासनिक राहत की खबर है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने शहरी इलाकों में वंशावली जारी करने की स्पष्ट व्यवस्था तय कर दी है. इसके तहत नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्रों में अब अंचलाधिकारी वंशावली जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकार होंगे. विभाग के प्रधान सचिव सीके अनिल द्वारा जारी आदेश के बाद यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है.

अब शहरी क्षेत्रों के निवासी अपने संबंधित अंचल क्षेत्र के अंचलाधिकारी से सीधे वंशावली प्राप्त कर सकेंगे. सरकार का मानना है कि इससे जमीन से जुड़े प्रशासनिक और कानूनी कार्यों में लोगों को अनावश्यक भटकाव से मुक्ति मिलेगी.

अब तक क्यों थी दिक्कत

आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में अब तक वंशावली जारी करने के लिए कोई सुस्पष्ट व्यवस्था या सक्षम प्राधिकार निर्धारित नहीं था. इसी कारण संपत्ति बंटवारे, नामांतरण, दाखिल-खारिज और न्यायिक प्रक्रियाओं में लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी. ग्रामीण इलाकों में पंचायती राज विभाग के परिपत्र के तहत सरपंच वंशावली जारी करते हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से भ्रम की स्थिति बनी रहती थी.

18 दिसंबर को महाधिवक्ता के साथ हुए विमर्श के बाद विधि विभाग ने इस असमंजस को दूर करते हुए अंचलाधिकारी को वंशावली जारी करने का अधिकार देने के प्रस्ताव पर सहमति दी. इसके बाद विभाग ने आदेश जारी कर इसे लागू कर दिया.

समयबद्ध और पारदर्शी सेवा का दावा

उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि शहरी क्षेत्रों में अंचलाधिकारी को वंशावली जारी करने के लिए नामित करने से लोगों को समयबद्ध, पारदर्शी और सुलभ सेवा मिलेगी. इससे न केवल आम नागरिकों का समय बचेगा, बल्कि जमीन से जुड़े मामलों में भरोसा भी बढ़ेगा.

जमीन के कागज भी हो रहे डिजिटल

इसी कड़ी में सरकार ने राजस्व अभिलेखों की नकल को भी पूरी तरह डिजिटल कर दिया है. डिजिटल हस्ताक्षरित नकल वैधानिक होगी और हर जगह मान्य मानी जाएगी. सबसे बड़ी राहत यह है कि लोगों को नकल के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से जमीन के कागजात आसानी से मिल सकेंगे.

शहरी जमीन व्यवस्था में बड़ा बदलाव

वंशावली की स्पष्ट व्यवस्था और जमीन के कागजात की डिजिटल सुविधा, दोनों फैसले मिलकर शहरी जमीन प्रशासन को अधिक सरल और नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा में अहम कदम माने जा रहे हैं. आने वाले समय में यदि इसका प्रभावी क्रियान्वयन हुआ, तो शहरी बिहार में जमीन से जुड़े विवाद और परेशानियां काफी हद तक कम हो सकती हैं.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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