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बिहार में करना है किडनी ट्रांसप्लांट, तो कीजिए अगले साल का इंतजार, पटना में डोनर लेकर भटक रहे 32 मरीज

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में लंबी वेटिंग के कारण डोनर होने के बावजूद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 32 मरीज भटक रहे हैं. आइजीआइएमएस को छोड़कर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. पढ़िए आनंद तिवारी की रिपोर्ट.

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में लंबी वेटिंग के कारण डोनर होने के बावजूद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 32 मरीज भटक रहे हैं. आइजीआइएमएस को छोड़कर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. ऐसे में यहां दबाव बढ़ गया है. मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नौ माह से एक साल बाद तक की तारीख दी जा रही है. ऐसे में मरीज डायलिसिस के सहारे ट्रांसप्लांट की तिथि का इंतजार कर रहे हैं. संस्थान में बीते डेढ़ महीने में 32 मरीजों ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. पढ़िए आनंद तिवारी की रिपोर्ट.

कोरोना काल में सही से इलाज नहीं होने से बढ़ी समस्या

आइजीआइएमएस के ओपीडी में रोजाना करीब 200 से 210 तक किडनी के नये व पुराने मरीज इलाज कराने आते हैं. इनमें 70 प्रतिशत मरीज बढ़ी हुई बीमारी के साथ आ रहे हैं. संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ ओम कुमार का कहना है कि कोरोना काल में किडनी का सही से इलाज नहीं होने से अधिकतर मरीजों की समस्या बढ़ गयी है. वहीं, अगर मरीज को पांच साल तक सही इलाज नहीं मिला, तो करीब 30 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब हो जाती है.

आइजीआइएमएस में अब तक हुए 82 किडनी ट्रांसप्लांट

बिहार मे सिर्फ आइजीआइएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है. वहीं, जानकारों की मानें, तो पूरे बिहार में करीब दो लाख किडनी के मरीज इलाज करा रहे हैं, जबकि प्रदेश के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच, पटना एम्स, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर आदि सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सिर्फ 19 नेफ्रोलॉजिस्ट हैं. इनमें सबसे अधिक 11 पटना में हैं. इनमें छह किडनी ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ हैं. आइजीआइएमएस में अब तक 82 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं.

यहां मात्र पांच लाख रुपये में होता है ट्रांसप्लांट

पूरे बिहार में करीब 35 हजार मरीज डायलिसिस करा रहे हैं. इनमें करीब 500 से अधिक की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं, जिनको डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट की सलाह दी है़ आइजीआइएमएस में जहां किडनी ट्रांसप्लांट में करीब पांच लाख रुपये खर्च होते हैं, वहीं निजी अस्पतालों में 15 से 20 लाख रुपये तक खर्च आता है. आइजीआइएमएस में बीपीएल कार्डधारी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग से पांच लाख रुपये का अनुदान भी मिलता है.

क्या कहते हैं अधीक्षक

मेडिकल सुपरिटेंड डॉ मनीष मंडल ने कहा कि आइजीआइएमएस को छोड़कर राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है, इसलिए यहां दबाव अधिक है. गंभीर मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है.

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