संवाददाता,पटना वैश्वीकरण, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और बदलते आर्थिक स्वरूप के कारण बिहार की कई पारंपरिक कलाएं और शिल्प लुप्त होने की कगार पर हैं.ग्रामीण और अर्ध-शहरी पृष्ठभूमि से आने वाले कारीगरों को बाजार तक पहुंच, संस्थागत सहायता, आधुनिक प्रशिक्षण और पीढ़ी-दर-पीढ़ी घटती रुचि जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.इन चुनौतियों के समाधान और बिहार की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने बेगूसराय जिले के मल्हीपुर में पांच एकड़ भूमि पर ‘कला ग्राम’ स्थापित करने की योजना बनायी है. कला, संस्कृति और युवा विभाग ने इसके डिज़ाइन व कार्यान्वयन के लिए एजेंसी चयन के लिए ‘रुचि की अभिव्यक्ति’ आमंत्रित की है. यह सांस्कृतिक परिसर बिहार की विविध पारंपरिक कलाओं, शिल्पों और प्रदर्शन परंपराओं के संरक्षण, पुनर्जीवन और संवर्धन का प्रमुख केंद्र होगा.यहां कारीगरों के लिए प्रशिक्षण, कौशल उन्नयन, उत्पादन इकाइयां, प्रदर्शन दीर्घाएं, कार्यशालाएं, स्थायी और मौसमी प्रदर्शनियां आयोजित होंगी.इसके अलावा, उद्यमिता विकास, कौशल प्रमाणन कार्यक्रम और ऑनलाइन-ऑफलाइन बाजार तक पहुंच के जरिए कारीगरों और स्थानीय युवाओं को स्थायी आजीविका मंच उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे परंपरा और नवाचार का संगम एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र के रूप में सामने आयेगा. कला ग्राम में जलवायु-नियंत्रित प्रदर्शनी दीर्घाएं विकसित की जाएंगी, जहां लोक कला, शिल्प नवाचार तथा ऐतिहासिक कलाकृतियों का आवर्ती संग्रह प्रदर्शित होगा.इसके साथ ही, एक ओपन-एयर थिएटर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें स्थायी मंच, बैठने की व्यवस्था और लोक संगीत-नृत्य प्रदर्शन, कथावाचन सत्र तथा सांस्कृतिक उत्सवों के लिए आवश्यक तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध होंगी.ये स्थल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और सार्वजनिक जुड़ाव के प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेंगे.
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