Bihar News: बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल PMCH में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है. डॉक्टरों का कहना है कि उनके अधिकारों और काम करने की बेहतर परिस्थितियों के लिए यह कदम जरूरी है. उनकी मुख्य मांगों में शामिल हैं- बॉन्ड अवधि को कम करना, ताकि उन्हें लंबे समय तक सिर्फ एक ही जगह काम करने के लिए बांधा ना जाए, जुर्माना राशि 10 लाख रुपए तक सीमित करना, ताकि अगर कोई डॉक्यूमेंटेशन या सेवा संबंधी कारण से गलती हो जाए तो ज्यादा जुर्माना न लगे, और साथ ही काम की परिस्थितियों में सुधार और अन्य सुविधाओं को भी बढ़ाया जाए. डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे अपने कार्य से विराम देंगे और हड़ताल जारी रखेंगे. उनका यह भी कहना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से बातचीत के बाद ही वे सामान्य सेवाओं पर लौटेंगे.
अनिश्चितकाल तक चलेगी हड़ताल
डॉक्टरों ने कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया है और इसे अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल दिया है. इसका मतलब है कि अस्पताल में कई विभागों में मरीजों को सामान्य सेवाएं नहीं मिल पाएंगी.
अपने अधिकारों के लिए आंदोलन कर रहें डॉक्टर्स
अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग से कहा गया है कि जब तक डॉक्टरों की मांग पूरी नहीं होती, उनका हड़ताल जारी रहेगा. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे अपने अधिकारों और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए इस आंदोलन को लंबा खींच सकते हैं.
मरीजों की बढ़ी परेशानी
पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण रोजाना हजारों मरीज परेशानी में हैं. दूर-दराज के इलाकों से आए लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं और गंभीर मरीजों को समय पर मदद नहीं मिल पा रही है. गरीब मरीज मजबूरी में महंगे निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें 14 दिनों में पूरी नहीं हुईं, तो वे आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर सकते हैं, जिससे हालात और खराब हो सकते हैं. फिलहाल सरकार की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
इन मांगो के लिए उतरे हड़ताल पर
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों की मुख्य मांगों में शामिल हैं बॉन्ड अवधि कम करना, ताकि उन्हें लंबे समय तक सिर्फ एक ही जगह काम करने के लिए बांधा ना जाए, जुर्माना राशि 10 लाख रुपए तक सीमित करना, ताकि किसी गलती या देरी पर अत्यधिक जुर्माना न लगे, साथ ही मानदेय का नियमित भुगतान और काम करने की बेहतर परिस्थितियां सुनिश्चित करना. डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे और जरूरत पड़ने पर आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर सकते हैं.

