पटना. जयप्रकाश नारायण के निजी डॉक्टर के रूप में डॉ सीपी ठाकुर की पहचान है. इस दायित्व के मिलने की भी एक रोचक कहानी है. जेपी के मित्र परमानंद सहाय के आग्रह पर डॉ सीपी ठाकुर ने जेपी का नियमित चेकअप करना शुरू किया. सहाय ने उनसे कहा था कि जेपी की तबीयत ठीक नहीं रहती है. जेपी को कोई नियमित तौर पर देखने वाला नहीं है. सहाय के इस आग्रह पर डॉ सीपी ठाकुर उन्हें नियमित तौर पर देखने लगे.
बिना हौदा वाले हाथी से लौटा
डॉ सीपी ठाकुर कहते हैं कि एक बार उनको देखने उनके गांव सिताबदियारा जाना था. छपरा तक गाड़ी से गया. उसके बाद हाथी पर बैठकर. वापसी भी बिना हौदा वाले हाथी से लौटा. ईसीजी मशीन, दूसरा डॉक्टरी सामान एक आदमी पैदल लेकर चल रहा था. स्टीमर से पटना वापसी में नींद आ गई. मेरी मशीन, बैग चोरी हो गया.
कुछ लोगों को जेपी के यहां मेरी मौजूदगी पसंद नहीं थी
डॉ सीपी ठाकुर कहते हैं कि जनता सरकार बनने के बाद जेपी, सक्रिय राजनीति से अलग हो पटना में रहने लगे थे. सरकार में गये नेता के मन मिजाज भी बदल चुके थे. जनता पार्टी की सरकार में कुछ लोगों को जेपी के यहां मेरी मौजूदगी पसंद नहीं थी. इसके कारण मैंने वहां जाना छोड़ दिया था. एक दिन जेपी का संदेशा आया तो मैं उनसे मिलने गया.
आप मेरे डॉक्टर हैं, आपको यहां आना ही पड़ेगा
जेपी ने कहा कि मैं जानता हूं कि आप ने यहां आना क्यों बंद कर दिया है, लेकिन आप मेरे डॉक्टर हैं, आपको यहां आना ही पड़ेगा. एक बार शेख अब्दुल्ला जेपी से मिलने आये थे. बहुत सारा फल, मेवा लाये थे. मैं घर लौटा तो देखा कि इसका बड़ा हिस्सा मेरे घर में है. इसे जेपी ने भिजवाया था.
कैंसर होने की बात बहुत बाद में पता चली
डॉ सीपी ठाकुर कहते हैं कि जेपी ही नहीं प्रभावती जी (जेपी की पत्नी) भी उनके नहीं आने से परेशान थी. एक दिन वो रिक्शा से पीएमसीएच आ गईं. अस्पताल में यूं उनको देखकर सब चौंक गये. डॉ सीपी ठाकुर कहते हैं कि हमें उनके कैंसर होने की बात बहुत बाद में पता चली. वरना हम उनका भी इलाज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते.