राज्य में दैनिक जरूरत की वस्तुएं और सेवाएं दूसरे राज्यों से सस्ती
बिहार में गुजर-बसर करना देश के 25 राज्यों की तुलना में आसान है.यहां रोजमर्रा की वस्तुएं और सेवाएं देश के अधिकतर राज्यों की तुलना सस्ती हैं.मंगलवार को जारी मार्च महीने के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से इसका खुलासा हुआ है.यह सूचकांक देश के परिवारों में दैनिक उपयोग की सामग्री की औसत कीमतों के घटने-बढ़ने का ब्योरा देता है.
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ाकेंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से ताजा जारी आंकड़ों के मुताबिक, गांव और शहर दोनों को मिलाकर बिहार का संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 188.8 है.आसाय यह है कि जिन सामानों और सेवाओं के लिए 2012 में हमें 100 रुपये खर्च करने पड़ते थे, उनके लिए अभी 188. 80 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के राष्ट्रीय औसत 192.0 से भी कम है.देश में केवल 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ही ऐसे हैं, जहां का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बिहार से कम है, यानी रोजाना जरूरत की चीजें और सेवाएं बिहार से भी सस्ती हैं.26 अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तय किया जाता है.इनमें अनाज, मांस-मछली-अंडा, दुग्ध उत्पाद, तेल, फल-सब्जी, दाल, चीनी, मसाला, नॉन अल्कोहलिक पेय, फूड एंड वीवरेज, पान-तंबाकू, कपड़ा, फुटवियर, हाऊसिंग, ईंधन, लाइटिंग, घरेलू वस्तु एवं सेवाएं, स्वास्थ्य, परिवहन एंव संचार, मनोरंजन, शिक्षा, पर्सनल केयर तथा कुछ और वस्तु और सेवाओं का समूह है.
बिहार के गांव में रहना सस्ता और शहर महंगादेश के स्तर पर पर देखा गया है कि गांव सस्ते और शहर महंगे हैं.यानी गांव में पास-पड़ोस में पैदा होने वाली चीजों की तुलना में शहरों में तैयार माल अधिक उपयोग किए जाने के कारण गांव में रोजमर्रा की वस्तुओं की महंगाई का ग्राफ शहरों से नीचे हैं.बिहार का ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 187.4 और शहरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 197.2 है.इससे साफ है कि बिहार के गांव में ज्यादातर वहीं उत्पादित सामग्री और सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है, जो सस्ती दर पर वहां उपलब्ध है.
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