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Durga Puja 2025: बिहार के इन 5 प्रसिद्ध दुर्गा मंदिरों में होती हैं मुरादें पूरी, इस नवरात्रि यहां जरूर करें दर्शन

Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा के पर्व पर बिहार के इन 5 प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ उमड़ती है. यहां की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत ने इन मंदिरों को पूरे राज्य में खास पहचान दिलाई है. हर साल हजारों लोग इन मंदिरों में पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं.

Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा के दौरान बिहार के इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों का रेला लग जाता है. ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि यहां की परंपराएं, पूजा विधि और भव्य सजावट देखने लायक होती हैं. मंदिरों में दीपों की रोशनी, धूप-धुन की खुशबू और पूजा की गूंज वातावरण को श्रद्धा से भर देती है. यहां दूर-दराज से लोग आते हैं, मान्यता है कि इन मंदिरों में सच्चे मन से की गई पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासकर दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्योहार पर यहां विशेष आयोजन किए जाते हैं.

बड़ी पटनदेवी मंदिर (पटना)

बड़ी पटनदेवी मंदिर पटना शहर में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. ऐसा माना जाता है कि माता सती की दाहिनी जंघा यहीं गिरी थी. यहां नवरात्रि और अन्य त्योहारों पर बहुत श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पटना की सांस्कृतिक पहचान के लिए भी महत्वपूर्ण है.

मुंडेश्वरी मंदिर (कैमूर)

मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले की पहाड़ी पर स्थित है और इसे भारत के सबसे पुराने मंदिरों में गिना जाता है. यह शक्तिपीठ भी है और माता सती से जुड़ी मान्यताओं के कारण यहां विशेष श्रद्धा दिखाई जाती है. कहते हैं कि चण्ड-मुण्ड नाम के असुर का वध करने के लिए देवी यहां आई थीं. चण्ड के वध के बाद मुण्ड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था और यहीं माता ने मुण्ड का वध किया. इसलिए इसे माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है. मंदिर की वास्तुकला और पहाड़ों का सौंदर्य भक्तों को बहुत आकर्षित करता है.

अंबिका भवानी मंदिर (सारण)

अंबिका भवानी मंदिर सारण जिले में स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है. यह मंदिर देवी सती के शरीर के अंगों से जुड़े शक्तिपीठों में से एक है, जहां अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में सती हुई थीं. इस मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यहां देवी दुर्गा की प्रतिमा के स्थान पर मिट्टी से बनी पिंडियों की पूजा की जाती है, जिन्हें “अंबिका भवानी की पिंडी” कहा जाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक पृष्ठभूमि के कारण भी विशेष महत्व रखता है. यहां आने वाले भक्त पूजा-अर्चना के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति और विश्वास का अनुभव करते हैं.

मंगला गौरी मंदिर (गया)

मंगला गौरी मंदिर गया-बोधगया मार्ग पर स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. यहां माता सती का स्तन गिरा था, इसलिए यह जगह विशेष महत्व रखती है. नवरात्रि और अन्य त्योहारों पर भारी संख्या में भक्त यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. मंदिर का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सुकून देता है.

मनसा देवी मंदिर (भागलपुर)

बिहार के भागलपुर जिले में स्थित मनसा देवी मंदिर नाग देवता की बहन और नागों की देवी माने जाने वाली देवी मनसा को समर्पित है. यहां पूजा करने की परंपरा बाएं हाथ से होती है. कहा जाता है कि सती बहुला ने अपने पति की रक्षा के लिए इसी विधि से पूजा की थी. श्रद्धालु यहां खास मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं. यह मंदिर स्थानीय लोगों और दूर-दराज से आए भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है.

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JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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