संवाददाता, पटना बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग (बीएचआरसी) में फैसलों की रफ्तार थम-सी गयी है. आयोग की तीन में से दो बेंच काम नहीं कर रही हैं क्योंकि आयोग के दोनों सदस्य पद एक साल से अधिक समय से रिक्त है. सिर्फ अध्यक्ष अनंत मनोहर बदर की बेंच में ही सीमित अवधि की वर्चुअल सुनवाई हो रही है. नतीजतन, मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही है और लंबित शिकायतों की संख्या 9300 के पार पहुंच चुकी है. बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष के अलावा एकल सदस्यीय दो बेंच गठित है, जो मानवाधिकार हनन से संबंधित मामलों की सुनवाई करती हैं. मार्च 2024 को सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे समेत दोनों सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया. सदस्य के दोनों पद खाली हैं और अब तक उनकी नियुक्ति नहीं हुई है. करीब दो माह पहले जस्टिस (रिटायर्ड) अनंत मनोहर बदर को महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. तब से अब तक नये अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण वह फिलहाल अतिरिक्त प्रभार में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस बदर फिलहाल सिर्फ वर्चुअल माध्यम से एक घंटे तक ही सुनवाई कर पा रहे हैं. तीन में केवल एक बेंच के क्रियाशील होने से आयोग की कार्यक्षमता प्रभावित हो गयी है. राज्यभर से आने वाली शिकायतें लंबित होती जा रही हैं, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है.
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