– सृजनात्मक लेखन : कथेतर गद्य साहित्य विषय पर दोदिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन संवाददाता, पटना आने वाले समय में हिंदी अधिक प्रभावी भाषा बन सकेगी. इसे लेकर मंगलवार को मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (राजभाषा) के तत्त्वावधान में ‘सृजनात्मक लेखन : कथेतर गद्य साहित्य विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. यह आयोजन बिहार राज्य अभिलेख भवन सभागार, नेहरू पथ, पटना में किया गया. इसमें विभाग के निदेशक एस एम परवेज आलम ने कहा कि यह कार्यशाला भाषा–संवर्द्धन, साहित्यिक समृद्धि और सांस्कृतिक चेतना का सशक्त माध्यम बनने में मील का पत्थर साबित होगी. कार्यशाला के प्रथम दिन 62 प्रतिभागियों ने कथेतर गद्य साहित्य विषय पर आमंत्रित विशेषज्ञों से ज्ञानवर्द्धक जानकारियां प्राप्त कीं. मंच संचालन उप निदेशक डॉ ओम प्रकाश वर्मा और धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक विनीता कुमारी ने किया. कार्यशाला के प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञ डॉ दिव्यानन्द, सहायक प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, जेपी कॉलेज, नारायणपुर, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर ने ‘कथेतर गद्य साहित्य का आशय और इसके आयाम’ के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कथेतर गद्य साहित्य कल्पना नहीं बल्कि वास्तविकता पर आधारित होता है. इसमें प्रामाणिकता का दबाव रहता है, साथ ही आत्म स्तुति की भूमिका प्रमुख होती है. द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ डॉ आशा कुमारी, सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग मगध महिला कॉलेज, पटना ने ’आत्मकथा और जीवनी साहित्य’ विषय पर जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि आत्मकथा जहां वस्तुनिष्ठ होती है; जीवनी विषयनिष्ठ होती है. आत्मकथा अनुमानित होती है जबकि जीवनी तथ्य परक होती है. कार्यशाला के तृतीय सत्र में डॉ नेहा सिन्हा, हिन्दी विभागाध्यक्ष पटना कॉलेज पटना ने कथेतर साहित्य विधा ‘संस्मरण और डायरी’ के बारे में विस्तार से बताया.
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