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Friday, March 29, 2024

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बिहार सरकार ने मुफ्त कैंसर दवाओं के लिए उपलब्ध करा दी है राशि, फिर भी नहीं मिल रही दवा, जानें कारण

सरकार ने दिसंबर 2022 में संकल्प जारी किया जिसमें दवाओं की सूची को संशोधित करते हुए 611 प्रकार की दवाएं मुफ्त में सभी प्रकार के मरीजों को उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया गया था. इसमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की 56 प्रकार की दवा भी शामिल थी.

बिहार सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की सूची में 56 प्रकार की कैंसर की दवाएं शामिल की गयी है. कैंसर मरीजों को ये दवाएं मुफ्त दवाएं उपलब्ध करायी जानी हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंसर मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के लिए राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों को राशि भी उपलब्ध करायी है. बावजूद उनको मुफ्त दवाएं नहीं मिल रही है.

नहीं किया गया रेट कंट्रेक्ट

मरीजों के लिए की गयी मुफ्त दवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था में अभी तक न तो रेट कंट्रेक्ट किया गया है और नहीं स्थानीय स्तर पर दवा खरीदने का आदेश जारी किया गया है. ऐसी स्थिति में हर दिन कैंसर के मरीज अपने पैसे से कैंसर की महंगी दवा खरीद कर इलाज कराना पड़ रहा है.

मुफ़्त दवाएं उपलब्ध कराने का जारी किया गया था निर्देश 

सरकार ने दिसंबर 2022 में संकल्प जारी किया जिसमें दवाओं की सूची को संशोधित करते हुए 611 प्रकार की दवाएं मुफ्त में सभी प्रकार के मरीजों को उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया गया था. इसमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की 56 प्रकार की दवा भी शामिल थी.

अस्पतालों को उपलब्ध करा दिए गए हैं रुपये 

सूत्रों का कहना है इसको लेकर सरकार द्वारा कैंसर रोगियों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के लिए हर सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को 32 लाख 90 हजार और हर जिला अस्पताल को दो लाख रूपये भी जारी किये गये. अस्पतालों के पास राशि उपलब्ध रहने के बाद भी दवाओं की खरीद नहीं की जा रही है. अस्पतालों द्वारा इसको लेकर बिहार चिकित्सा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) से संपर्क कर दवाओं की मांग की जा रही है.

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दवाओं की खरीद करने का आदेश नहीं

निगम इन दवाओं की खरीद इसलिए नहीं कर रहा है कि कैंसर की 56 प्रकार की दवाओं का दर निर्धारित (रेट कंट्रेक्ट) नहीं हुआ है. अस्पतालों की विवशता है कि राशि उपलब्ध रहने के बाद उनको स्थानीय स्तर पर इन दवाओं की खरीद करने का आदेश नहीं हैं. अब मरीजों को राशि उपलब्ध रहने के बाद भी अपने जेब से कैंसर की महंगी दवाएं खरीद करनी पड़ रही है. बीएमएसआइसीएल की विवशता है कि वह रेट कंट्रेक्ट के इंतजार में हैं.

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