जमीन की पहचान और विकास योजनाओं में आयेगी पारदर्शिता संवाददाता, पटना नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा सुनियोजित शहरीकरण के लिए उठाए गए कदमों में जीआइएस आधारित मास्टर प्लानिंग एक महत्वपूर्ण पहल बनकर सामने आयी है. नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा राज्य के सभी शहरों में जीआइएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) तकनीक का उपयोग करते हुए डिजिटल मैपिंग करायी जा रही है. इससे हर स्तर पर पारदर्शिता और गति सुनिश्चित होगी. सटीक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जायेगा जीआइएस आधारित नक्शों से प्रत्येक प्लॉट, सड़क, नाली, पार्क और सार्वजनिक भूमि का सटीक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जायेगा. इससे जमीन का स्वामित्व तय करने, भूखंडों की सीमाएं स्पष्ट करने और भूमि उपयोग की जानकारी जुटाने में आसानी होगी. आम जनता को भी यह सुविधा मिलेगी कि वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी संपत्ति का विवरण देख और सत्यापित कर सकें. इससे जमीन विवादों में कमी आने की संभावना है. इसके साथ ही अवैध कब्जे और अतिक्रमण पर भी प्रभावी नियंत्रण संभव होगा. आधारभूत संरचनाओं का व्यवस्थित विकास होगा जीआइएस आधारित मास्टर प्लान के जरिए आधारभूत संरचनाओं का भी व्यवस्थित विकास होगा.सड़क निर्माण, सीवरेज नेटवर्क, वाणिज्यिक और औद्योगिक जोन का नियोजन अधिक वैज्ञानिक ढंग से किया जायेगा. इससे न केवल वर्तमान जरूरतों का समाधान होगा, बल्कि आगामी बीस वर्षों की आबादी और विकास की अपेक्षाओं को भी पूरा किया जा सकेगा. नगर विकास एवं आवास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीआइएस आधारित तकनीक से सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता बढ़ेगी, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रहेगा और शहरी विकास को गति मिलेगी. जीआइएस मैपिंग के फायदे 1. सटीक जमीन पहचान: हर भूखंड, सड़क और सार्वजनिक जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध होगा. 2. अवैध कब्जे पर नियंत्रण: रियल टाइम निगरानी से अतिक्रमण और अवैध निर्माण की तुरंत पहचान. 3. पारदर्शी विकास: मास्टर प्लान और आधारभूत संरचना परियोजनाओं का निष्पादन ज्यादा पारदर्शी और तेज. 4. भू-विवादों में कमी: स्वामित्व और सीमाओं के स्पष्ट निर्धारण से जमीन विवादों का समाधान आसान होगा.
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