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दूसरे प्रदेशों के फूल से बिहार में हो रहे पूजा व त्योहार

बिहार में फूलों की खेती न के बराबर हो रही है. गेंदा को छोड़कर किसी भी अन्य फूल की खेती एक टन भी नहीं हो रही है.

गेंदा समेत दूसरे फूल पश्चिम बंगाल और यूपी से लाये जा रहे

मनोज कुमार, पटना

बिहार में फूलों की खेती न के बराबर हो रही है. गेंदा को छोड़कर किसी भी अन्य फूल की खेती एक टन भी नहीं हो रही है. सभी तरह की फूलों की खेती का दायरा भी एक हजार हेक्टेयर से कम है. इस कारण राज्य में होने वाले अधिकतर पूजा और त्योहार में दूसरे राज्यों के फूल का इस्तेमाल हो रहा है. हालांकि, फूलों का उत्पादन पहले से बढ़ा है. मगर, इसकी मात्रा काफी कम है. वर्तमान में बिहार में सभी तरह के फूलों को मिलाकर 13.323 हजार हेक्टेयर में ही फूलों का उत्पादन हो रहा है. राज्य में जास्मिन फूल का उत्पादन बीते दो वर्षों में मात्र 0.031 हजार टन ही हुआ. जबकि बीते दो वर्षों में 0.1 हजार हेक्टेयर में ही जास्मिन की खेती हुई. गेंदा समेत दूसरे फूल पश्चिम बंगाल और यूपी से आ रहे हैं.

दो वर्षों में गुलाब का उत्पादन 0.166 हजार टन हुआ

बीते दो वर्षों में गुलाब का उत्पादन 0.166 हजार टन हुआ. राज्य में गुलाब का उत्पादन और खेती का दायरा भी बढ़ा है. अंतिम साल गुलाब का उत्पादन 0.152 हजार टन हुआ था. इससे पहले गुलाब का उत्पादन 0.014 हजार टन हुआ था. खेती का दायरा भी 0.07 हजार हेक्टेयर बढ़ा है. गुलाब की खेती अभी 0.025 हजार हेक्टेयर में हो रही है, जबकि ट्यूब रोज का उत्पादन 0.0269 हजार टन हो रहा है.

राज्य में गेंदा की खेती सबसे अधिक

राज्य में गेंदा की खेती अभी सबसे अधिक हो रही है. गेंदा के उत्पादन और खेती के दायरे में भी साल दर साल वृद्धि हो रही है. राज्य में अभी गेंदा का उत्पादन 12.798 हजार टन हो रहा है. इसके पूर्व गेंदा का उत्पादन 11.065 हजार टन हुआ था. इसमें लगभग एक हजार टन की वृद्धि हुई है.

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