Farmer Compensation: इस साल अगस्त में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने राज्य के 14 जिलों के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. नालंदा, भागलपुर, खगड़िया, कटिहार, बेगूसराय, लखीसराय, पटना, भोजपुर, वैशाली, मुंगेर, सारण, समस्तीपुर, मधेपुरा और शेखपुरा जिले में खरीफ की फसलें बर्बाद हो गईं. धान, मक्का और सब्जी की खेती पूरी तरह चौपट हो गई है. सरकार ने इस संकट की घड़ी में किसानों को आर्थिक सहारा देने की घोषणा की है.
सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि अगर किसी किसान की क्षति बहुत कम है, तब भी उसे न्यूनतम सहायता मिलेगी. असिंचित क्षेत्र के लिए कम से कम ₹1,000, सिंचित क्षेत्र के लिए ₹2,000 और बहुवर्षीय फसल के लिए ₹2,500 की राशि किसानों को दी जाएगी.
परिवार से सिर्फ एक किसान को मिलेगा लाभ
एक परिवार से एक किसान को ही लाभ परिवार के किसी एक सदस्य को ही इस योजना का लाभ मिलेगा. इसके लिए कृषि विभाग ने परिवार को परिभाषित किया है. पति-पत्नी और उनके अवयस्क पुत्र-पुत्री को एक परिवार माना है. परिवार के विभाजन पर अलग-अलग आवेदन देने होंगे. इसमें भी शर्त है कि अलग-अलग भूमि के लिए आवेदन करना होगा.
कृषि विभाग के पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसान सीधे आवेदन कर सकेंगे. डीबीटी के माध्यम से किसानों को बैंक खाते में राशि भेजी जायेगी. बैंक खाता आधार नंबर से लिंक होना चाहिए. आधार नंबर से बैंक खाता लिंक नहीं होने पर किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा.
किसानों में उम्मीद की किरण
बारिश और बाढ़ से तबाह हुए किसानों के लिए यह राहत योजना उम्मीद की किरण लेकर आई है. किसान नेताओं का कहना है कि अगर मुआवजे की राशि समय पर मिल गई, तो किसान अगली फसल की बुआई कर सकेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति कुछ हद तक सुधरेगी.
कितना मिलेगा मुआवजा?
कृषि विभाग की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक
असिंचित (रेनफेड) फसल क्षेत्र के किसानों को ₹8,500 प्रति हेक्टेयर सहायता मिलेगी.
सिंचित (इरिगेटेड) क्षेत्र के किसानों को ₹17,000 प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा.
बहुवर्षीय फसल के लिए ₹22,500 प्रति हेक्टेयर सहायता राशि तय की गई है.
यह मदद अधिकतम दो हेक्टेयर भूमि तक ही दी जाएगी. यानी कोई किसान दो हेक्टेयर से अधिक भूमि की क्षति के लिए मुआवजा नहीं ले पाएगा.
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