Exclusive: सुबोध कुमार नंदन, पटना. जैन धर्म के महान संत महामुनि सुदर्शन स्वामी की मोक्ष स्थली श्री कमलदह जी दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र (गुलजारबाग) में मान स्तंभ बनाया जायेगा. यह पटना का पहला मान स्तंभ होगा. जैन धर्म में भगवान के मंदिर के बाहर मान स्तंभ बनाने की प्रथा है. यह मान स्तंभ 21 फुट ऊंचा होगा, जो प्राचीन मंदिर के बाहर बनाया जायेगा. इस मान स्तंभ में जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमी नाथ की प्रतिमा होगा. इनका चिह्न शंख है.
दक्षिण भारत के ग्रेनाइट पत्थर से तैयार किया जा रहा मान स्तंभ
इसे तैयार करने में दक्षिण भारत के ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग किया जा रहा है. इस मान स्तंभ में तीर्थंकर की चार प्रतिमाएं विराजमान होंगी और यह अखंड पाषाण का होगा. इस मान स्तंभ का शिलान्यास चर्या शिरोमणि आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के आशीर्वाद से और मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर जी महाराज की प्रेरणा से ब्रह्मचारी साकेत भइया के मार्गदर्शन में संपन्न होगा. इसी साल मई माह में इसका काम पूरा हो जायेगा होगा.
इसलिए होता है मान स्तम्भ का निर्माण
बिहार स्टेट जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के महामंत्री पराग जैन बताया कि जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार जब भगवान की धर्म सभा लगती है. सब चारों दिशाओं में चार मान स्तंभ स्थापित किए जाते हैं. साथ ही इस मान स्तंभ की चारों दिशाओं में एक तीर्थंकर भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है. यानी एक मान स्तंभ में कुल 4 प्रतिमाएं होती है. मान स्तम्भ को देख कर मिथ्या दृष्टियों का मद, अभिमान से रहित हो जाते हैं और भव्य जीव सम्यग दृष्टि होकर समवशरण में प्रवेश कर साक्षात अरिहंत भगवान की वाणी को सुनने का अधिकारी बन जाता है. इसलिए इसे मान स्तंभ कहा गया है. जैन ने बताया कि तिलोयपण्णत्ती एवं कल्पद्रुम पूजा के अनुसार मान स्तंभ तीर्थंकर प्रतिमा की अवगाहना (ऊंचाई) से 12 गुना ऊंची होती है.