संवाददाता, पटना राज्य में बिजली आपूर्ति प्रणाली को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाने की दिशा में ठोस पहल शुरू हो गयी है. बिजली वितरण कंपनियों और बिहार अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (ब्रेडा) ने मिलकर डिमांड साइड मैनेजमेंट (डीएसएम) कार्यक्रमों को जमीन पर उतारने की तैयारी कर ली है. डिमांड साइड मैनेजमेंट (डीएसएम ) का मतलब है बिजली की खपत को समझदारी से नियंत्रित करना, ताकि ऊर्जा की बर्बादी रुके और सिस्टम बेहतर तरीके से काम करे. सूत्र बताते हैं कि ऊर्जा विभाग ने इन प्रयासों को नीति दस्तावेज में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. स्मार्ट मीटरिंग, ऊर्जा कुशल उपकरणों को बढ़ावा, वितरण प्रणाली में तकनीकी सुधार और उपभोक्ताओं को जागरूक करने जैसे उपायों पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इससे न केवल बिजली खपत में कमी आयेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के बिलों में सीधी राहत भी मिलेगी. बिहार सरकार अन्य राज्यों की सफल ऊर्जा नीतियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रही है. गुजरात में पंपसेट और एयर कंडीशनर जैसे उपकरणों को ऊर्जा दक्ष विकल्पों से बदलने पर हर वर्ष 120 करोड़ यूनिट बिजली की बचत हो रही है. वहीं, केरल में पंचायतों की भागीदारी से डीएसएम योजनाओं को ग्राम स्तर तक प्रभावी ढंग से लागू किया गया है. राज्य सरकार का मानना है कि अगर इन कार्यक्रमों को योजनाबद्ध ढंग से लागू किया गया, तो सब्सिडी पर बोझ घटेगा, ग्रिड की कार्यक्षमता बढ़ेगी और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आयेगी. विदित हो कि 16 मई को ब्रेडा के तत्वावधान में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी थी, जिसमें विशेषज्ञों ने ऊर्जा बचत के तकनीकी, नियामकीय और व्यवहारिक पहलुओं पर चर्चा की थी. कार्यशाला के निष्कर्षों के आधार पर तैयार कार्ययोजना को अब नीतिगत रूप दिया जा रहा है. ऊर्जा बचाने वाले उपकरण: पुराने, ज्यादा बिजली खाने वाले उपकरणों की जगह एलइडी , 5 स्टार पंखे, मोटर और एसी लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करना. स्मार्ट मीटर: ऐसे मीटर जो यह दिखाते हैं कि आप कब और कितनी बिजली इस्तेमाल कर रहे हैं. समय के हिसाब से रेट: कुछ समय (जैसे शाम) पर बिजली महंगी हो सकती है, ताकि लोग उस समय कम इस्तेमाल करें. एक नजर में डिमांड साइड मैनेजमेंट कार्यक्रम बिजली की खपत को कम करना बिजली का सही इस्तेमाल करना सिस्टम (ग्रिड) पर ज्यादा लोड न पड़ने देना
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