संवाददाता, पटना
पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग और आइक्यूएसी की ओर से शुक्रवार को मूल्य संवर्धन कोर्स के विद्यार्थियों को कृष्णा घाट स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया. इसका नेतृत्व डॉ भगवान मिश्रा और अविनाश कुमार ने किया. इसमें विद्यार्थियों को यह दिखाया गया कि किस प्रकार शहर के गंदे पानी और प्रदूषकों को उपचारित करके उसे गंगा नदी में दोबारा छोड़ दिया जाता है. गंदे पानी को उपचारित न करके सीधे गंगा नदी में छोड़े जाने के आसन्न खतरों के प्रति भी विद्यार्थियों को सचेत किया गया. वहीं डॉल्फिन रिसर्च सेंटर में विद्यार्थियों को बताया कि किस प्रकार यह जलीय जीव गंगा के स्वास्थ्य का प्रतीक है. जहां गंगा का पानी एक सीमा से ज्यादा प्रदूषित हो गया है, वहां यह प्राणी लुप्त हो गया है. जबकि इसकी उपस्थिति गंगा के पानी के अच्छे होने के संकेत देती है. सेंटर के निदेशक ने कहा कि यहां डॉल्फिन सहित अन्य जलीय जीवों-घड़ियालों और कछुओं पर भी शोध कार्य होता है. शैक्षणिक भ्रमण के अंत में संपूर्ण कोर्स के अंतर्गत मिले अनुभवों पर विद्यार्थियों की राय पर आधारित भाषण प्रतियोगिता हुई जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम के बीच में नोडल विभागाध्यक्ष ने बताया कि उनके द्वारा कोर्स को पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ पूरा करवाया गया है. उन्होंने सार्वजनिक भाषण की बारीकियों को भी बताया जो नये जमाने के लिए एक अनिवार्य क्षमता बनती जा रही है. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ भगवान मिश्रा ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

