Domicile Policy: बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य की सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में दिव्यांगजन कोटे में डोमिसाइल नीति लागू कर दी है. अब इस कोटे का लाभ केवल बिहार के मूल निवासियों को ही मिलेगा. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए शुक्रवार को संबंधित आदेश जारी कर दिया है. यह फैसला दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाले आरक्षण को सही पात्रों तक पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है.
आरक्षण का फायदा अब राज्य के दिव्यांगों को ही
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी नौकरियों में 4% और उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन में 5% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान है. लेकिन अब तक इस आरक्षण का लाभ बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के दिव्यांग अभ्यर्थी उठा रहे थे. इससे बिहार के दिव्यांग उम्मीदवारों को उनके हक से वंचित होना पड़ता था. सरकार के इस फैसले से अब राज्य के दिव्यांग युवाओं को आरक्षण के तहत अधिक अवसर मिल सकेंगे और उनके लिए सरकारी नौकरी का रास्ता आसान होगा.
23 लाख से अधिक दिव्यांगजन
बिहार में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 23 लाख से अधिक दिव्यांगजन हैं. इनमें से करीब 16 लाख लोगों को अब तक दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया है. राज्य सरकार का मानना है कि इतनी बड़ी आबादी को अवसर उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है. यह निर्णय उसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जिससे स्थानीय दिव्यांग युवाओं को प्राथमिकता मिलेगी और उनके विकास के रास्ते खुलेंगे. हालांकि, यह डोमिसाइल नीति केवल दिव्यांग आरक्षण पर लागू की गई है. सामान्य कोटे में अभी भी बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी पूर्ववत भाग ले सकते हैं.
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