बेहतर बिहार निर्माण के लिए विमर्श के साथ पाटलिपुत्र संवाद का समापन हमें बाढ़ के साथ जीना सीखना होगा: राजीव कुमार संवाददाता, पटना पटना के आइआइबीएम में आयोजित दो दिवसीय पाटलिपुत्र संवाद के समापन समारोह में रविवार को कई विषयों पर विमर्श हुआ. इस दौरान 500 बिलियन डॉलर का सपना: क्या बिहार भारत का अगला आर्थिक महाशक्ति बन सकता है, विषय पर मंथन किया गया. इस पर डॉ सत्यजीत कुमार सिंह, कौशलेंद्र कुमार एवं सुमित कुमार ने विचार व्यक्त किये. ””बाढ़ और सूखे की समस्या एवं समाधान”” विषय पर पर यूनिसेफ बिहार के डीआरआर विशेषज्ञ राजीव कुमार ने कहा कि बाढ़ को नियंत्रित करना या रोकना असंभव है. हमें इसके साथ जीना सीखना होगा. लेखक/ब्लॉगर आनंद कुमार ने कहा कि बाढ़ के साथ जीने के लिए पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता है. पर्यटन में राजस्व व रोजगार : गांगुली : ””बिहार की अर्थव्यवस्था: स्थिति और अवलोकन”” आधारित सत्र में बीआइपीएफपी वित्त विभाग की डॉ बरना गांगुली ने महिला बजट की योजना बनाने के अपने अनुभव साझा किये. कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो राजस्व और रोजगार दोनों पैदा कर सकता है. प्रो. सीकेपी शाही ने बताया कि प्राथमिकताएं सही नहीं होती थीं, जिसके कारण खर्च किया गया पैसा अक्सर बर्बाद हो जाता था. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि खेती-आधारित स्टार्टअप ने राज्य के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल दिया है. पाटलिपुत्र संवाद टीम के कुमार हर्ष और आशुतोष कश्यप ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. विभिन्न सत्रों में पत्रकार ज्योत्सना प्रियदर्शिनी, मंदार मंथन के आशुतोष कश्यप, बिहार विकास मिशन के कंसल्टेंट आलोक कुमार ने संचालन किया.
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