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विकसित भारत में उच्च शिक्षा की भूमिका विषय पर शोधपत्र की हुई प्रस्तुति

श्रीअरविंद महिला कॉलेज में गुरुवार को विकसित भारत में उच्च शिक्षा की भूमिका विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

संवाददाता, पटना

श्रीअरविंद महिला कॉलेज में गुरुवार को विकसित भारत में उच्च शिक्षा की भूमिका विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी का आयोजन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सहयोग से पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग, अर्थशास्त्र विभाग और श्रीअरविंद महिला कॉलेज की ओर से संयुक्त रूप से किया गया. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि के तौर पर मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति प्रो एसपी शाही ने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी साकार हो सकता है, जब उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार, शोध और नैतिकता के स्तर पर निरंतर विकास हो. उच्च शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों को सिर्फ रोजगारपरक शिक्षा ही नहीं दें, बल्कि उन्हें समाज निर्माण में सक्रिय योगदान के लिए तैयार करें. मुख्य वक्ता के रूप में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो नागेंद्र कुमार झा ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था के वर्तमान संदर्भों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के पश्चिमीकरण के बावजूद, भारत को अपनी सांस्कृतिक, दार्शनिक और शैक्षिक परंपराओं को संरक्षित रखते हुए, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने की आवश्यकता है. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ संजय पासवान ने अपने वक्तव्य में शिक्षा को सामाजिक न्याय, समावेशिता एवं आत्मनिर्भरता के साथ जोड़ने पर बल दिया.

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कॉलेज की प्रभारी प्राचार्या प्रो साधना ठाकुर ने सभी का स्वागत करते हुए कॉलेज के शिक्षण और अकादमिक अवदान पर प्रकाश डाला. मौके पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलसचिव प्रो. ब्रजेशपति त्रिपाठी, संगठन मंत्री संजय कुमार आजाद ; मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय पटना के कुलसचिव कर्नल कामेश कुमार आदि मौजूद थे.

उद्घाटन सत्र के बाद दो और सत्र का हुआ आयोजन

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के बाद प्लेनरी सत्र आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रो माला सिंह ने की. इस सत्र में विषय के विभिन्न आयामों पर विद्वानों की ओर से विचार प्रस्तुत किया गया. तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो निखिल कुमार ने की. तकनीकी सत्रों में देशभर से आये शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किया, जिनमें नयी शिक्षा नीति, डिजिटल शिक्षा, नैतिक शिक्षा, उच्च शिक्षा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य, और शोध की दिशा जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ. संगोष्ठी में कुल मिलाकर 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की और यह आयोजन शिक्षा क्षेत्र के विविध पक्षों पर विमर्श हेतु एक उत्कृष्ट मंच के रूप में उभर कर सामने आया. अंत में आयोजन सचिव प्रो अविनाश कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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