– बिहार में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु कार्रवाई के लिये राज्य नेतृत्व पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन संवाददाता पटना आपदाओं को ध्यान में रखकर ही हमें विकास की हर योजनाओं को मूर्त रूप देना होगा. आपदाएं घटित होगी.जलवायु परिवर्तन की वजह से आनेवाले दिनों में इसकी प्रकृति और आवृत्ति में विस्तार ही होगा. वहीं,दूसरी तरफ विकास का पहिया भी निरंतर चलता रहेगा. ऐसे में हमें इन दोनों के साथ मिलकर चलना होगा. बिहार में आपदाओं की वजह से हर वर्ष हजारों करोड़ का नुकसान होता है. ये बातें जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने ज्ञान भवन में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में कहीं. उन्होंने कहा है कि विकास की सभी योजनाओं में आपदा प्रबंधन एक अभिन्न हिस्सा बने. आपदाओं को कम करने में सभी को मिल कर काम करना होगा. सम्मेलन का आयोजन बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने संयुक्त रूप से किया था. बीएसडीएमए के उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत मिश्रा ने सफलताओं और असफलताओं दोनों से सीख लेकर समावेशी, जलवायु-अनुकूल लचीलेपन की दिशा में एक व्यावहारिक मार्ग तैयार करने के महत्व पर जोर दिया. यूएनडीपी इंडिया के राष्ट्रीय अधिकारी मनीष मोहनदास ने बीएसडीएमए और यूएनडीपी के बीच सहयोग को राज्य-स्तरीय नेतृत्व के एक ऐसे मॉडल के रूप में रेखांकित किया, जो आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक ढांचों के अनुरूप है. कार्यक्रम ने बहु-संकट आपदा तैयारियों को आगे बढ़ाने में बिहार के नेतृत्व की पुष्टि की. वहीं, लचीलेपन को मजबूत करने के लिए अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत किया गया. उद्घाटन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ उदय कांत, सदस्य पीएन राय, कौशल किशोर मिश्र, नरेंद्र कुमार सिंह, प्रकाश कुमार और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने किया.
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