अनुज शर्मा, पटना अब राज्य के नगर निकायों की खाली और कम इस्तेमाल वाली जमीनें आमदनी का मजबूत जरिया बनेंगी. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इन जमीनों को आय देने वाली संपत्तियों में बदलने की योजना बनायी है, ताकि शहरी ढांचे के विकास और जरूरी सुविधाओं के लिए फंड जुटाया जा सके. बिहार में रोजगार के अवसर बढ़ें और लोगों का जीवन स्तर और बेहतर हो. मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा के निर्देश पर लैंड एसेट मॉनिटाइजेशन का विशेष अभियान शुरू किया जायेगा. मुख्य सचिव ने हाल ही में नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह व नगर आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कहा कि नगर निगमों और नगर पंचायतों के पास बहुमूल्य जमीनें हैं, लेकिन आज तक कोई प्रभावी मॉडल नहीं बन पाया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अच्छे कंसल्टेंट्स का पैनल बनाकर हर निकाय को अपनी जमीन का सही उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी ) के पास जो जमीनें हैं, उन पर जरूरत के मुताबिक कॉमर्शियल या रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट बनाए जाएं. पटना का लोकनायक भवन बनेगा रोल मॉडल मुख्य सचिव ने पटना के डाकबंगला स्थित लोकनायक भवन का उदाहरण देते हुए बताया कि इस इमारत में जिला परिषद की संपत्ति से इतनी आय होती है कि उसकी सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं और अतिरिक्त राशि भी बचती है. यही मॉडल पूरे राज्य में अपनाया जा सकता है. क्या होता है लैंड एसेट मॉनिटाइजेशन किसी नगर निगम के पास शहर के बीचोंबीच एक बड़ी जमीन वर्षों से खाली पड़ी है, तो उसे ऐसे ही छोड़ने की बजाय अगर वहां कोई शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मार्केट, ऑफिस बिल्डिंग या फ्लैट बना दिये जायें और उन्हें किराये पर दे दिया जाये या बेच दिया जाये तो इससे जो पैसा आएगा, वही मॉनिटाइजेशन कहलाता है.
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