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Bihar Teacher Transfer: म्युच्युअल ट्रांसफर बंद,अब जिला समिति के जरिए होगी नई शुरुआत

Bihar Teacher Transfer: बिहार के एक लाख से अधिक शिक्षक वर्षों से तबादले का इंतज़ार कर रहे थे. अब शिक्षा विभाग ने गाड़ी आगे बढ़ा दी है—लेकिन इस बार खेल के नियम बदल गए हैं. म्युच्युअल ट्रांसफर का विकल्प बंद कर दिया गया है और ज़िम्मेदारी सीधे ज़िला समिति को सौंप दी गई है. क्या यह निर्णय शिक्षकों की परेशानियों को हल करेगा या नई उलझनों को जन्म देगा?

Bihar Teacher Transfer: बिहार के शिक्षकों के लिए लंबे अरसे से चली आ रही तबादला प्रक्रिया आखिरकार इसी माह से शुरू होने जा रही है. शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि जिला स्तर पर “स्थापना समिति” के माध्यम से तबादले किए जाएंगे. इस बार का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि पारस्परिक (म्युच्युअल) तबादले की सुविधा पूरी तरह बंद कर दी जाएगी. विभाग का कहना है कि अगले एक हफ्ते में विस्तृत गाइडलाइन जारी की जाएगी.

तबादले का नया मॉडल: ज़िला समिति की भूमिका

अब तक शिक्षक अपने सहकर्मियों के साथ आपसी सहमति से म्युच्युअल ट्रांसफर कर पाते थे, लेकिन नई व्यवस्था में ऐसा संभव नहीं होगा. हर ज़िले में डीएम (जिलाधिकारी) की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बनाई गई है.

यह समिति ही तय करेगी कि किस शिक्षक का तबादला किस विद्यालय में होगा. शिक्षकों को पुनः आवेदन करने का अवसर मिलेगा. अंतरजिला ट्रांसफर चाहने वाले शिक्षकों को तीन जिलों का विकल्प देना होगा, जिनमें से किसी एक जिले में उनका तबादला सुनिश्चित किया जाएगा. इस व्यवस्था से सरकार का उद्देश्य प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट बनाना है.

एक लाख से अधिक शिक्षक इंतज़ार में

फिलहाल बिहार में एक लाख से ज्यादा शिक्षक तबादले की राह देख रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या उन शिक्षकों की है, जो पारिवारिक या पेशागत कारणों से अपने वर्तमान जिले से बाहर जाना चाहते हैं. अब तक इस मांग को पूरा करने के लिए म्युच्युअल ट्रांसफर सबसे आसान विकल्प था. लेकिन अब पूरा ज़ोर स्थापना समिति के निर्णय पर रहेगा. यानी अब शिक्षकों की नियति “आपसी सहमति” पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक निर्णय पर निर्भर होगी.

म्युच्युअल ट्रांसफर का सफ़र: अतीत की कहानी

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 23,578 शिक्षक म्युच्युअल ट्रांसफर की सुविधा का लाभ उठा चुके हैं. यह प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी हुई थी और कई शिक्षकों के लिए यह बेहद लाभकारी रही. समान कोटि के शिक्षक आपस में स्थान बदलकर अपने पारिवारिक बोझ को हल्का कर पाते थे. लेकिन अब इस विकल्प को बंद करने का सीधा असर हजारों उन शिक्षकों पर पड़ेगा, जो किसी न किसी कारणवश “आपसी सहमति” से तबादले की राह देख रहे थे.

ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर आखिरी मौका

फिलहाल, ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर म्युच्युअल ट्रांसफर के लिए आवेदन की सुविधा अभी भी उपलब्ध है. लेकिन जैसे ही नई गाइडलाइन जारी होगी, यह अवसर हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. यानी जो शिक्षक इस विकल्प का लाभ लेना चाहते हैं, उनके पास अब बेहद सीमित समय बचा है.

फैसले के पीछे तर्क: ट्रांसपेरेंसी या नियंत्रण?

सरकार का तर्क है कि म्युच्युअल ट्रांसफर में कई बार गड़बड़ियां और असमानता की शिकायतें मिलती थीं. साथ ही, यह प्रक्रिया कुछ हद तक “लॉबी” और व्यक्तिगत संपर्कों पर भी निर्भर करती थी. नई व्यवस्था में, समिति आधारित ट्रांसफर से पारदर्शिता आएगी और “योग्यता” या “जरूरत” के आधार पर निर्णय होंगे. लेकिन शिक्षकों के बीच यह आशंका भी है कि कहीं यह प्रक्रिया ज़्यादा जटिल और राजनीतिक दबावों से प्रभावित न हो जाए.

शिक्षकों की प्रतिक्रिया और आशंकाएं

शिक्षक संगठनों का कहना है कि म्युच्युअल ट्रांसफर एक “लोकतांत्रिक विकल्प” था, जो दोनों पक्षों की सहमति पर आधारित होता था. इसे बंद करना हजारों शिक्षकों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.

ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले कई शिक्षक शहरों में आने की राह इसी प्रक्रिया से देखते थे. वहीं, कुछ शहरी शिक्षक ग्रामीण विद्यालयों में जाकर पारिवारिक कारणों से राहत पाते थे. नई व्यवस्था के तहत शिक्षकों को पुनः आवेदन करना होगा। विभाग ने संकेत दिया है कि अगले हफ्ते गाइडलाइन आ जाएगी, जिसमें प्रक्रिया की समयसीमा, प्राथमिकताएं और नियम स्पष्ट होंगे.

सवाल यही है कि क्या यह बदलाव शिक्षकों की लंबी परेशानियों को खत्म करेगा? या फिर नई जटिलताओं का कारण बनेगा? अब देखना होगा कि नया तबादला मॉडल शिक्षकों के लिए राहत का रास्ता खोलेगा या मुश्किलों की नई इबारत लिखेगा.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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