Bihar Panchayat Chunav: बिहार में पंचायत का मुखिया गांव के विकास, प्रशासन और जनकल्याण से जुड़ा सबसे अहम प्रतिनिधि होता है. अगर कोई व्यक्ति बिहार में मुखिया बनता है तो उसके पास कई तरह की जिम्मेदारियां और अधिकार होते हैं. इनका सही उपयोग गांव की तस्वीर बदल सकता है.
इनके दायरे में क्या-क्या आता है
सबसे पहले बात विकास योजनाओं और फंड की करें तो मुखिया पंचायत की वार्षिक विकास योजना तैयार करता है और उसे पारित कराता है. उसे मनरेगा सहित कई सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि के उपयोग की जिम्मेदारी होती है. सड़क, नाली, घर, जल का पहुंचना जैसे कामों के प्रस्ताव तैयार कराना और काम की निगरानी करना भी मुखिया का काम है. पंचायत टैक्स, फी और अन्य वसूली पर नजर रखना भी इनका काम होता है.
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क्या- क्या भूमिका निभाते हैं
ग्राम सभा और प्रशासनिक कामों में भी मुखिया की अहम भूमिका होती है. वह ग्राम सभा और पंचायत बैठकों की अध्यक्षता करता है और हर साल तय संख्या में बैठकें कराना अनिवार्य होता है. पंचायत के रिकॉर्ड, रजिस्टर और डाक्यूमेंट्स की देखरेख की जिम्मेदारी भी मुखिया पर होती है. पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और अन्य कर्मचारियों के कामकाज पर प्रशासनिक निगरानी रखना भी इनका काम होता है.
सामाजिक कल्याण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुखिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. वह पेंशन, आवास, राशन जैसी योजनाओं के लिए पात्र लोगों की सूची तैयार कराने में सहयोग करता है. स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र और टीकाकरण जैसे कामों की निगरानी भी मुखिया करता है. खेल, सांस्कृतिक फंक्शन और स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा के काम भी ये करते हैं.
मुखिया के अधिकारों की कुछ सीमाएं भी होती हैं. उसे न्यायिक या पुलिस अधिकार प्राप्त नहीं होते. नियमों का पालन, पारदर्शिता और टीमवर्क के साथ काम करना एक अच्छे मुखिया की पहचान है. मुखिया का पद सेवा और जिम्मेदारी का होता है. ईमानदारी से काम किया जाए तो मुखिया गांव की स्थिति को सही कर सकता है.
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