Bihar News: मिथिलेश, पटना. साल 1977, देश में आपातकाल के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे थे. जनता पार्टी की लहर थी और इसी चुनाव में दरभंगा के बहेड़ा विधानसभा सीट से अब्दुल बारी सिद्दीकी पहली बार उम्मीदवार बने. उनके सामने थे कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पंडित हरिनाथ मिश्र. मिथिला की राजनीति में पंडित हरिनाथ मिश्र का बड़ा कद था. सिद्दीकी बताते हैं कि जब पार्टी में उम्मीदवार बनने की चर्चा चली, तो खुद उनके चाचा ने सुझाव दिया कि बहेड़ा सीट से ही चुनाव लड़ें. पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता उन्हें केउटी से उतारना चाहते थे, लेकिन सिद्दीकी की जिद काम आ गयी और टिकट बहेड़ा से मिला.
साइकिल से प्रचार, राजदूत से रफ्तार
सिद्दीकी बताते हैं- पहला चुनाव था, गांव-गांव घूमकर जनसंपर्क करना पड़ता था. साइकिल से सफर करते-करते पैरों में छाले पड़ने लगे. तभी एक परिचित ने नयी-नवेली राजदूत मोटरसाइकिल थमा दी और कहा- लो भैया, प्रचार में काम आ जायेगी.
जब कर्पूरी ठाकुर ने चौंका दिया
चुनाव प्रचार के दौरान खबर आयी कि जननायक कर्पूरी ठाकुर बेनीपुर चौक आने वाले हैं. सिद्दीकी दौड़ते-भागते पहुंचे. सभा में कर्पूरी ठाकुर ने विरोधी उम्मीदवार पंडित हरिनाथ मिश्र की तारीफ कर दी. सिद्दीकी चौंक गये- अरे! मेरे पक्ष में बोलने आये हैं और तारीफ विरोधी की कर रहे हैं. लेकिन अगले ही पल कर्पूरी ठाकुर बोले- हरिनाथ बाबू ईमानदार हैं, पर अब्दुल बारी सिद्दीकी उनसे भी बड़े ईमानदार नौजवान हैं. सभा में तालियां गूंज उठीं. सभा खत्म हुई तो कर्पूरी ठाकुर ने पूछा- कोई दिक्कत तो नहीं? सिद्दीकी ने हिम्मत जुटा कर कहा- सब ठीक है, बस पैसे की थोड़ी दिक्कत है. तुरंत कर्पूरी ठाकुर ने जेब से कुछ नोट निकाले और हाथ में थमा दिये. जब गिनती की तो पूरे 200 रुपये थे.
दो सौ रुपये से जीता पहला चुनाव
इन्हीं रुपयों के सहारे चुनाव प्रचार चलता रहा. नतीजे आये तो अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सबको चौंका दिया. उन्होंने 12 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की. उन्हें कुल 35,181 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे पंडित हरिनाथ मिश्र को 23,423 वोट मिले. इस चुनाव में कुल छह प्रत्याशी मैदान में थे.

