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राजधानी पटना बनेगा महानगरपालिका, शामिल होंगे दानापुर, खगौल व फुलवारीशरीफ

राजधानी पटना नगर निगम क्षेत्र के विकास का प्रस्ताव तैयार किया गया है. पटना क्षेत्र में दानापुर के पूरे इलाके के साथ फुलवारीशरीफ व खगौल के कुछ हिस्सों को मिला कर मुंबई के तर्ज पर महानगरपालिका बनाने के तैयारी है.

पटना : राजधानी पटना नगर निगम क्षेत्र के विकास का प्रस्ताव तैयार किया गया है. पटना क्षेत्र में दानापुर के पूरे इलाके के साथ फुलवारीशरीफ व खगौल के कुछ हिस्सों को मिला कर मुंबई के तर्ज पर महानगरपालिका बनाने के तैयारी है. नये प्रस्ताव के अनुसार पटना के 75 वार्डों को बढ़ा कर 100 से अधिक कर दिया जायेगा. नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने बताया कि पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया नगर निगम के क्षेत्र को बढ़ाया जाना है. जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर में ग्रेटर मुजफ्फरपुर और गया का विस्तार बोधगया तक हो सकेगा. इसके अलावा कई नगर निगम, नगर पर्षद, नगर पंचायत के गठन और क्षेत्र विस्तार की योजना भी बनायी जा रही है.

20 लाख से अधिक हो जायेगी आबादी

पटना महानगरपालिका का गठन होता है तो शहर की जनसंख्या और क्षेत्रफल दोनों बढ़ जायेंगे. वर्तमान में नगर निगम में 75 वार्ड हैं, जबकि वर्ष 2011 के अनुसार 16 लाख के करीब जनसंख्या है. वहीं, दानापुर में 40 वार्ड हैं और करीब पांच लाख की जनसंख्या है. इसके अलावा फुलवारीशरीफ में 28 वार्ड और करीब 54 हजार जनसंख्या है. इस हिसाब से पटना महानगरपालिका क्षेत्र की आबादी 20 लाख से अधिक होगी. हालांकि, वर्ष 2021 की आबादी के अनुसार इन क्षेत्रों की आबादी काफी अधिक बढ़ कर सामने आने वाली है. जनसंख्या के आंकड़े बदल जायेंगे.

18% शहरी जनसंख्या करने का लक्ष्य : वर्तमान में राज्य में शहरी जनसंख्या करीब 11% है. नये प्रस्ताव के अनुसार अगर राज्य में नये नगर निकायों का गठन होता है तो राज्य में शहरी जनसंख्या करीब 18% हो जायेगी. इस हिसाब से केंद्र से मिलने वाली योजनाओं का अधिक से अधिक राज्य को लाभ मिलेगा. गौरतलब है कि पूर्वी क्षेत्र में कोलकाता के बाद पटना दूसरा बड़ा शहर है.

एक साल का इंतजार 

हालांकि, नये निकायों के गठन के लिए लगभग एक साल का इंतजार करना होगा. विभागीय मंत्री ने बताया कि अगले साल जनगणना होने के कारण फिलहाल प्रस्ताव को रोक दिया गया है. अब इसकी अधिक संभावना है कि यह काम जनगणना-2021 के पूरा होने के बाद हो. उन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष रोक के बाद नयी जनगणना के हिसाब ने लगभग सभी शहरों के नये आंकड़े सामने आ जायेंगे. इसके बाद निकायों की संख्या 150 से बढ़ कर 300 या उससे भी अधिक हो सकती है.

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