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Bihar News: बिहार पुलिस में 37 प्रतिशत से अधिक महिलाएं कर रहीं कमान संभाल

Bihar News: थाना, ट्रैफिक से लेकर गश्ती गाड़ियों तक… बिहार पुलिस में अब महिलाएं हर मोर्चे पर मौजूद हैं. आंकड़े बताते हैं कि महिला पुलिसकर्मियों की संख्या न केवल बढ़ी है, बल्कि उनकी मौजूदगी से पुलिस की छवि और व्यवस्था दोनों में बदलाव आया है.

Bihar News: बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. फिलहाल राज्य के पुलिस बल में करीब 37 प्रतिशत पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं. कुल संख्या 31,882 महिला सिपाहियों और अधिकारियों तक पहुंच चुकी है. यह बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि थाने से लेकर सड़कों तक महिला पुलिसकर्मी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं.

आज किसी भी महिला पीड़िता के लिए थाना जाना पहले की तुलना में कहीं आसान और सुरक्षित हो गया है.

बढ़ती संख्या और बदलती तस्वीर

बिहार में पुलिस बल की कुल संख्या करीब 1 लाख 10 हजार है. इसमें से 31,882 महिला सिपाही हैं, जबकि अधिकारियों को मिलाकर कुल संख्या 37 प्रतिशत से अधिक हो जाती है. राज्य सरकार द्वारा आरक्षण और भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं को प्राथमिकता देने का असर साफ दिख रहा है और सिपाहियों की नई भर्ती के बाद महिलाओं की संख्या और 20 हजार बढ़ जाएगी. इससे पुलिस विभाग में नारी शक्ति की उपस्थिति और मजबूत हो जाएगी.

डायल–112 सेवा में 400 महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं. यह सेवा चौबीसों घंटे चलती है और इसमें महिलाएं तीन शिफ्टों में ड्यूटी करती हैं. इस सेवा के गाड़ियों पर महिला सिपाही से लेकर अधिकारी तक की मौजूदगी रहती है. आंकड़े बताते हैं कि अब तक 200 से अधिक महिलाओं को रात के समय सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जा चुका है. इस पहल से खासकर उन महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा मिला है, जो देर रात सफर करती हैं.

गश्त से ट्रैफिक तक महिलाओं की कमान

दिन हो या रात, गश्त पर निकली गाड़ियों में अब महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी आम हो चुकी है. वायरलेस, संचार सेवा इकाई, वाहन चालक से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था तक में उनकी भूमिका अहम है. पटना की ट्रैफिक व्यवस्था की कमान तो मुख्य रूप से महिला पुलिसकर्मियों के हाथों में है. शहर के बड़े चौक–चौराहों पर महिला ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी ने व्यवस्था को नया स्वरूप दिया है.

राज्य के सभी 1326 थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. हर थाने में एक फ्लोर महिला बैरक के तौर पर तैयार किया गया है, ताकि उन्हें ड्यूटी के दौरान किसी तरह की असुविधा न हो. महिलाओं की संख्या बढ़ने से थानों की छवि भी बदली है. अब किसी महिला पीड़िता को थाने जाने में झिझक महसूस नहीं होती. महिला पुलिसकर्मी आसानी से बयान दर्ज करती हैं और मेडिकल समेत अन्य कानूनी प्रक्रिया को पूरा करती हैं. इससे पीड़िताओं को राहत मिल रही है.

डीजीपी की प्रतिक्रिया

डीजीपी विनय कुमार का कहना है कि पुलिस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से कानून व्यवस्था संभालने में नई ऊर्जा और संवेदनशीलता आई है. महिला सिपाही से लेकर दारोगा और इंस्पेक्टर तक की संख्या बढ़ने से न केवल थानों की कार्यप्रणाली बदली है, बल्कि जनता का भरोसा भी बढ़ा है. खासकर महिला पीड़िताओं को न्याय की राह अब आसान लगने लगी है.

पुलिस की छवि में बदलाव

महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से पुलिस की छवि में सकारात्मक बदलाव आया है. पहले जहां थाने का नाम सुनते ही डर और असुरक्षा का भाव उभरता था, वहीं अब महिलाओं को विश्वास है कि पुलिस उनकी मदद के लिए मौजूद है.

गश्त और चेकिंग में महिला पुलिसकर्मी होने से समाज में संदेश जा रहा है कि कानून व्यवस्था सभी के लिए समान और सुलभ है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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