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Bihar News: तीन साल में डायल-112 बनी बिहार की लाइफलाइन, 43 लाख से ज्यादा लोगों को तुरंत मदद मिली

Bihar News: यह कहानी सिर्फ एक हेल्पलाइन नंबर की नहीं, बल्कि बिहार में सुरक्षा, संवेदना और विश्वास की नई तस्वीर की है. अब कोई सड़क हादसा हो, घरेलू हिंसा, बच्चा गुम हो या फिर रात के अंधेरे में अकेली महिला की सुरक्षा—डायल-112 हर जगह मौजूद है.

Bihar News: बिहार में जब भी संकट की घड़ी आती है, तो सबसे पहले लोगों की ज़ुबान पर एक ही नंबर आता है—डायल-112. महज एक कॉल पर पुलिस, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और महिला सुरक्षा से जुड़ी टीमें घटनास्थल पर पहुंच जाती हैं. सेवा की शुरुआत को तीन साल पूरे हो गए हैं और इस अवधि में 43 लाख से अधिक नागरिकों को त्वरित मदद पहुंचाई जा चुकी है.

तीन साल में साबित हुई बिहार की “इमरजेंसी लाइन”

पुलिस मुख्यालय के अनुसार, 6 जुलाई 2025 को डायल-112 सेवा ने अपनी तीन साल की यात्रा पूरी कर ली. इस दौरान यह सेवा बिहार की सबसे विश्वसनीय आपातकालीन मदद साबित हुई. पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी (वायलेस) एन.के. आजाद ने बताया कि अब तक 43 लाख से अधिक लोगों को मदद दी जा चुकी है. राज्यभर में 1833 इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल (ERVs) तैनात हैं, जिनमें 1283 चारपहिया और 550 दोपहिया वाहन शामिल हैं.

औसतन 14 मिनट 30 सेकंड के भीतर घटनास्थल पर टीम की मौजूदगी इस सेवा की सबसे बड़ी ताकत है.

सड़क हादसों से लेकर घरेलू विवाद तक

डायल-112 केवल अपराध रोकने का जरिया नहीं है, बल्कि यह जीवन बचाने का माध्यम भी है. तीन साल में इस सेवा के आंकड़े चौंकाने वाले हैं—

1.95 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया. 3.75 लाख से ज्यादा महिला व बाल अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों में त्वरित कार्रवाई हुई. 22 लाख 10 हजार से अधिक स्थानीय विवाद, झगड़े और मारपीट के मामलों को पुलिस ने मौके पर पहुंचकर संभाला. इन आंकड़ों से साफ है कि डायल-112 अब बिहार की रोजमर्रा की सुरक्षा और राहत व्यवस्था की रीढ़ बन चुका है.

कॉल सेंटर में महिला पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका

इस सेवा की एक अनोखी विशेषता यह भी है कि कॉल टेकर सेंटर का संचालन प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मी करती हैं. इससे न केवल महिलाओं को अपनी समस्याएं साझा करने में सहजता मिलती है, बल्कि यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी अहम साबित हुआ है.

महिलाओं के लिए “सुरक्षित सफर सुविधा”

महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बिहार पुलिस ने 5 सितंबर 2024 से “सुरक्षित सफर सुविधा” की शुरुआत की. इस सुविधा के तहत अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं को डायल-112 के जरिये सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई. बिहार इस पहल को लागू करने वाला देश का तीसरा राज्य बना.
अब तक 165 से अधिक महिलाओं ने इस सेवा का लाभ उठाया है. यह पहल खासकर उन महिलाओं के लिए संबल बनी है, जिन्हें रात के वक्त या निर्जन क्षेत्रों में यात्रा करनी पड़ती है.

कैसे करता है काम डायल-112

डायल-112 एक एकीकृत हेल्पलाइन नंबर है. यानी नागरिकों को पुलिस, फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, हाइवे पेट्रोलिंग और महिला-बाल सुरक्षा जैसी सभी सेवाएं एक ही नंबर से मिल जाती हैं. यह सेवा सिर्फ कॉल तक सीमित नहीं है. लोग एसएमएस, एसओएस बटन और इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS) पोर्टल के माध्यम से भी मदद ले सकते हैं.

जनता का भरोसा, पुलिस की बड़ी चुनौती

एन के आजाद ने कहा कि डायल-112 ने तीन साल में न सिर्फ जनता का भरोसा जीता है, बल्कि पुलिस के कामकाज को भी ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाया है. हर कॉल रिकॉर्ड होती है और उस पर की गई कार्रवाई की निगरानी उच्च स्तर तक होती है. पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है—तेज और सटीक प्रतिक्रिया. इसके लिए वाहनों की संख्या बढ़ाने और तकनीकी अपग्रेडेशन पर लगातार काम हो रहा है.

सिर्फ तीन साल में डायल-112 ने यह साबित कर दिया है कि यह नंबर महज एक सेवा नहीं, बल्कि लोगों की लाइफलाइन है. चाहे सड़क पर खून से लथपथ घायल हो, घरेलू हिंसा की शिकार महिला हो या फिर आपातकालीन मदद की दरकार वाला कोई बच्चा—112 अब हर हाल में मददगार है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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