Bihar News: बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत अक्सर सरकारी दावों से मेल नहीं खाती. खगड़िया जिले के बेलदौर नगर पंचायत में हाल ही में घटी एक घटना ने इसे और साफ कर दिया. 80 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को समय पर एंबुलेंस और स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो सका, जिसके कारण परिजनों को उन्हें खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाना पड़ा. यह न सिर्फ स्वास्थ्य तंत्र की विफलता की कहानी है, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े करती है.
एंबुलेंस का इंतजार और खाट पर सफर
खगड़िया जिले के बेलदौर नगर पंचायत के लालगोल गांव में रहने वाले 80 वर्षीय मोहन शर्मा शनिवार की शाम अपने ही घर में फिसलकर गिर गए. गिरने से उनकी जांघ की हड्डी टूट गई. परिजनों ने पहले एक स्थानीय चिकित्सक से प्राथमिक उपचार कराया, लेकिन रातभर दर्द और सूजन बढ़ती गई.
रविवार सुबह जब उनकी हालत बिगड़ने लगी, तो परिजनों ने तुरंत 102 नंबर पर एंबुलेंस सेवा से संपर्क किया. फोन पर जवाब मिला कि एंबुलेंस डेढ़ से दो घंटे में पहुंचेगी. परिजनों ने इंतजार किया, लेकिन समय गुजरता गया और एंबुलेंस नहीं आई.
आखिरकार मजबूरी में मोहन शर्मा के बेटे मणिकांत शर्मा और तीन अन्य लोगों ने बुजुर्ग को खाट पर लिटाकर कंधे पर उठा लिया और करीब डेढ़ घंटे पैदल चलकर बेलदौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) पहुंचे.
अस्पताल में भी नहीं मिला सहारा
हालत बिगड़ते-बिगड़ते किसी तरह मरीज को पीएचसी तक लाया गया. लेकिन यहां भी स्थिति बेहतर नहीं थी. अस्पताल में स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं था. परिजनों को मोहन शर्मा को उसी खाट पर एक्स-रे और अन्य जांचों के लिए इधर-उधर ले जाना पड़ा.
डॉक्टरों ने जांच में पुष्टि की कि मोहन शर्मा की जांघ की हड्डी टूट गई है. लेकिन उसी दिन सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में एक्स-रे सुविधा बंद थी. मजबूर होकर परिजनों को मरीज को एक निजी क्लिनिक ले जाना पड़ा, जहां जांच के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए खगड़िया जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया.
सरकार के दावों पर सवाल
मोहन शर्मा के बेटे मणिकांत शर्मा ने कहा—
सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, लेकिन हकीकत यह है कि एंबुलेंस समय पर नहीं आती और अस्पताल में जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं होतीं. हमें मजबूरन पिता को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ा.
यह बयान अकेले मणिकांत का नहीं, बल्कि हजारों उन परिवारों की आवाज है, जो आपात स्थिति में समय पर इलाज न मिलने की पीड़ा झेलते हैं.
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