Bihar News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी है. अब खेत की मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय या प्रमंडल केंद्रों तक दौड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सरकार ने 2025-26 तक 25 जिलों में 32 नई अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला किया है.
इसका मकसद किसानों को उनके नजदीकी क्षेत्रों में ही मिट्टी की सेहत और फसल के अनुकूल पोषक तत्वों की जानकारी देना है. कृषि विभाग ने इस योजना को तेजी से लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे राज्य में खेती और अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संचालित होगी.
कहीं भी, कभी भी नहीं करना पड़ेगा लंबा सफर
नई लैब गोपालगंज, भभुआ, गयाजी, नवादा, भोजपुर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, बेगूसराय, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, मुंगेर और मधेपुरा में एक-एक, जबकि पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, रोहतास, सुपौल, मधुबनी और सारण में दो-दो नई प्रयोगशालाएं खुलेंगी. इससे किसान अब अपने अनुमंडल में ही मिट्टी की जांच करवा सकेंगे और बार-बार दूर-दराज के केंद्रों तक जाने की परेशानी नहीं होगी.
इन नई लैब में मिट्टी के 12 महत्वपूर्ण पैमानों की जांच होगी, जिनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और पीएच स्तर प्रमुख हैं. नमूना संग्रहण को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए डिजिटल सिस्टम लागू किया गया है. कृषि कर्मी खेतों में जाकर मिट्टी के सैंपल, खेत की फोटो, अक्षांश-देशांतर और किसान का विवरण ऐप पर अपलोड करते हैं. इससे हर नमूना प्रमाणिक और सही साबित होता है. पिछले वित्तीय वर्ष में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत पांच लाख मिट्टी नमूनों की जांच हुई थी, जिससे राज्य के लाखों किसानों को फायदा मिला.
खेती में बढ़ेगा लाभ, घटेगा समय और खर्च
किसानों के लिए यह सुविधा केवल जांच तक सीमित नहीं है. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि उनकी मिट्टी में कौन-से पोषक तत्व कम हैं और कौन-सी फसल सबसे अच्छी होगी. खरीफ और रबी की बुआई से पहले यह जानकारी फसल उत्पादन बढ़ाने में कारगर साबित होती है. गोपालगंज के किसान रामाशीष सिंह बताते हैं कि उनकी मिट्टी में जिंक की कमी थी. लैब जांच के बाद उन्होंने इसे संतुलित किया और धान की पैदावार में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई.
अनुमंडल स्तर पर स्थापित होने वाली यह सुविधा किसानों के लिए समय और पैसों की बड़ी बचत साबित होगी. अब उन्हें जिले-दर-जिले भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कृषि विभाग का मानना है कि इस पहल से न केवल किसानों का जीवन आसान होगा, बल्कि राज्य में खेती अधिक वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से संचालित होगी.
भविष्य की खेती को मिलेगी नई दिशा
इस योजना के तहत स्थापित लैब किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ फसल चयन में भी मदद करेंगी. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि को बढ़ावा देने वाली इस पहल से बिहार में खेती की पारंपरिक चुनौतियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है. यह सुविधा छोटे और मझोले किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित होगी, जो अब अपने खेतों की मिट्टी की जांच स्थानीय स्तर पर करवा सकेंगे.
बिहार में इस पहल के लागू होने से किसान न केवल समय और मेहनत बचाएंगे, बल्कि उनकी पैदावार और आमदनी में भी इजाफा होगा. यह कदम राज्य में खेती के आधुनिक और टिकाऊ स्वरूप की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
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