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मौर्यकालीन ‘प्राचीन व्यापार मार्ग’ को UNESCO की धरोहर सूची में शामिल कराने की पहल, भेजा जायेगा प्रस्ताव

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में बिहार के उत्तरी गंगा क्षेत्र के साथ मौर्य और गुप्त काल के ‘प्राचीन व्यापार मार्ग' को शामिल कराने की पहल शुरू हुई है. जिसके तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पटना सर्किल को प्रस्ताव भेजने का फैसला लिया गया है.

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में बिहार के उत्तरी गंगा क्षेत्र के साथ मौर्य और गुप्त काल के ‘प्राचीन व्यापार मार्ग’ को शामिल कराने की पहल शुरू हुई है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पटना सर्किल ने इसके लिए प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है.

व्यापार मार्ग में कई जिलों के पुरातत्व स्थल शामिल

एएसआइ, पटना सर्किल की अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान के साथ प्राचीन व्यापार मार्ग में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिलों में स्थित कई पुरातत्व स्थल शामिल हैं. इन पुरातात्विक स्थलों में वैशाली जिला में बुद्ध अवशेष स्तूप (बुद्ध के भौतिक अवशेषों वाले आठ स्तूपों में से एक), मुजफ्फरपुर के कोल्हुआ में अशोक स्तंभ, पूर्वी चंपारण में केसरिया बुद्ध स्तूप, पूर्वी चंपारण के अरेराज में स्थित चार अशोक स्तंभ, पश्चिम चंपारण में रामपुरवा और नंदनगढ़ शामिल हैं.

पाटलिपुत्र को नेपाल से जोड़ता है ये मार्ग

यह व्यापार मार्ग मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र को नेपाल के दक्षिणी क्षेत्र से जोड़ता था. यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में इस मार्ग के शामिल होने के बाद उन्हें पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित हो सकता है. मौर्य वंश (322-185 ईसा पूर्व) के शासन में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बहुत महत्व दिया गया था.

सम्राट अशोक के समय में किया गया था निर्माण 

भट्टाचार्य ने कहा कि सम्राट अशोक के समय में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण में कई बौद्ध मंदिर, स्तूप और स्तंभ का निर्माण किया गया था. मालूम हो कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा बनने के लिए विरासत या ऐतिहासिक स्थल को अस्थायी सूची में होना चाहिए. फिर विश्व धरोहर स्थलों की अंतिम सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाता है.

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हर संभव सहायता देंगे

पुरातत्व विभाग के निदेशक दीपक आनंद ने कहा की सरकार इस प्राचीन व्यापार मार्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी. उम्मीद है कि एएसआइ, पटना क्षेत्र के इस प्रस्ताव को यूनेस्को द्वारा स्वीकार कर लिया जायेगा और इस प्राचीन व्यापार मार्ग को विश्व धरोहर स्थल का टैग मिल जायेगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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