Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा के बाद राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है. इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने राजस्थान एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में महागठबंधन पर तीखे प्रहार किए. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव राहुल गांधी के साथ यात्रा में चलते रहे, उन्हें प्रधानमंत्री तक कहा, लेकिन राहुल गांधी ने कभी स्पष्ट नहीं किया कि बिहार में महागठबंधन का नेता कौन होगा। तेजस्वी को इस बात से गहरी चोट पहुंची, उनका “मुंह लटक कर रह गया.”
उन्होंने लालू प्रसाद यादव पर भी तंज कसा कि कभी खुद को गरीब-गुरबा का नेता कहने वाले अब अपने ही परिवार में नेतृत्व को लेकर असमंजस में हैं.
“राहुल बोले नहीं, तेजस्वी रह गए चुप” — महागठबंधन पर व्यंग्य
सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘यात्रा साझेदारी’ पर चुटकी लेते हुए कहा,
“तेजस्वी यादव राहुल गांधी के साथ यात्रा में साथ चलते रहे, उन्हें प्रधानमंत्री भी बोलते रहे. लेकिन राहुल गांधी ने कभी यह नहीं कहा कि बिहार में महागठबंधन का नेता कौन होगा. तेजस्वी यादव का मुंह लटक कर रह गया.”
उन्होंने महागठबंधन की अंदरूनी स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि तेजस्वी भले ही बिहार में विपक्ष के चेहरा बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके गठबंधन के साथी दलों ने भी उन्हें खुले तौर पर अपना नेता घोषित नहीं किया है.
“तेजस्वी बिहार का नेतृत्व कर रहे हैं, पर उनके गठबंधन वाले कुछ नहीं बोल रहे हैं,” त्रिवेदी ने कहा.
“लालू के परिवार में ही है दुविधा” — NDA को दोहराए जनादेश का भरोसा
त्रिवेदी ने लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहा,
“कभी लालू प्रसाद यादव कहते थे कि मैं गरीब-गुरबा का नेता हूं. अब उनके सामने दुविधा है — इस बेटवा का नेता, उस बेटवा का नेता, इस बिटिया का नेता या उस बिटिया का नेता… यानी परिवार के भीतर ही समस्या है.”
उन्होंने कहा कि महागठबंधन की इस अंदरूनी खींचतान को बिहार की जनता बहुत ध्यान से देख रही है. वहीं, एनडीए एकजुट है और नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने सकारात्मक बदलाव देखा है.
“बिहार और पूरे देश की जनता देख रही है कि केंद्र में मोदीजी और राज्य में नीतीशजी के नेतृत्व में कितना परिवर्तन हुआ है. मुझे पूरा विश्वास है कि इस चुनाव में फिर से एक सशक्त और प्रभावी जनादेश एनडीए के पक्ष में आएगा,” उन्होंने कहा.
सुधांशु त्रिवेदी का यह बयान साफ संकेत देता है कि बीजेपी महागठबंधन की “नेतृत्वहीनता” और लालू परिवार की अंदरूनी राजनीति को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है. राहुल गांधी की चुप्पी और तेजस्वी यादव की उम्मीदों पर तंज, चुनावी बहस को और तेज करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

