Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के साथ ही राजनीतिक पारा और चढ़ गया है. रविवार देर रात एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने सीटों का फॉर्मूला जारी किया, जिसमें जेडीयू और बीजेपी को बराबर-बराबर 101 सीटें दी गईं. लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा का सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा में आ गया. उन्होंने गठबंधन में सिर्फ 6 सीटें मिलने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं से भावनात्मक अपील की और माफी मांगी.
एनडीए में हुआ सीटों का बंटवारा
लंबी बैठकों, सियासी जोड़-घटाव और रणनीतिक समीकरणों के बाद एनडीए में सीटों का बंटवारा तय हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और भाजपा को 243 में से 101-101 सीटें मिली हैं. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटों पर समझौता हुआ, जबकि जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 6-6 सीटें दी गईं.
इस एलान के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई कि कुशवाहा को उनकी अपेक्षा से काफी कम सीटें दी गई हैं. इसी पृष्ठभूमि में उन्होंने देर रात सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक भावुक संदेश साझा किया.
“आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा” — कुशवाहा का भावुक संदेश
उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट में लिखा,
“आप सभी से क्षमा चाहता हूं. आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पाई. मैं समझ रहा हूं इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों-लाखों लोगों का मन दुखी होगा. आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा, परन्तु आप सभी मेरी एवं पार्टी की विवशता और सीमा को बखूबी समझ रहे होंगे.”
उन्होंने आगे लिखा कि किसी भी निर्णय के पीछे कई परिस्थितियां होती हैं — कुछ बाहर से दिखाई देती हैं और कुछ अंदरूनी होती हैं, जिनका अंदाजा कार्यकर्ताओं को नहीं होता. उन्होंने स्वीकार किया कि इस फैसले से लोगों में गुस्सा और निराशा हो सकती है, लेकिन समय के साथ स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
“आपसे विनम्र आग्रह है कि आप गुस्सा को शांत होने दीजिए, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि फैसला कितना उचित है या अनुचित. फिर कुछ आने वाला समय बताएगा. फिलहाल इतना ही. सधन्यवाद. आपका, उपेन्द्र कुशवाहा.”
2020 में था अलग समीकरण
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा मौजूदा समीकरण से थोड़ा अलग था. तब जेडीयू को 115 और बीजेपी को 110 सीटें मिली थीं. जीतन राम मांझी की ‘हम’ को 7 और वीआईपी (वीकासशील इंसान पार्टी) को 11 सीटों पर समझौता हुआ था. चिराग पासवान की पार्टी उस समय एनडीए का हिस्सा नहीं थी और उसने अलग चुनाव लड़ा था.
उस चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटों पर सफलता मिली थी. इस बार हालांकि जेडीयू और बीजेपी ने बराबरी का फॉर्मूला अपनाया है, जिससे छोटे सहयोगी दलों के लिए गुंजाइश सीमित रह गई.

