Bihar Politics: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. राज्य की दो प्रमुख पार्टियां- राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच ज़ुबानी जंग अब पोस्टरों और सोशल मीडिया वार के ज़रिए और तेज हो गई है.
बीजेपी ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) हैंडल से एक धमाकेदार पोस्टर शेयर करते हुए RJD के तीन विधायकों- रीतलाल यादव, शंभू नाथ यादव और मनोज यादव को “फरार” बताते हुए उन पर निशाना साधा है. पोस्टर में लिखा है- “अगर RJD के हाथ आई सत्ता इस बार तो न जाने क्या होगा बिहार का हाल. भ्रष्टाचारियों को सत्ता में लाना है या बिहार को सुरक्षित बनाना है? फैसला आपका है, सोचिएगा ज़रूर.”
क्यों है विवाद में RJD के ये तीन विधायक?
रीतलाल यादव
दानापुर विधायक रीतलाल यादव के ठिकानों पर हाल ही में पुलिस ने छापेमारी की थी. बिल्डर कुमार गौरव से रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में यह कार्रवाई हुई थी. छापेमारी में नकदी, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और वॉकी-टॉकी समेत अन्य सामान बरामद किया गया. हालांकि, विधायक अपने घर पर मौजूद नहीं थे. रीतलाल ने पुलिस की कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया.
शंभू नाथ यादव
बक्सर के ब्रह्मपुर से विधायक शंभू नाथ यादव पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का आरोप है. एक साड़ी वितरण कार्यक्रम में उन्होंने कथित रूप से महिलाओं को धक्का दिया और साड़ी से मारा, जिससे कार्यक्रम में अफरातफरी मच गई थी.
मनोज कुमार यादव
मोतिहारी के कल्याणपुर से विधायक मनोज यादव पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और नाजायज भीड़ जमा करने जैसे गंभीर आरोप हैं. उन पर एनएच पर बनाए गए अवैध कट को बंद करने के दौरान प्रशासनिक कार्रवाई में हस्तक्षेप करने का आरोप है.
तेजस्वी का पलटवार, बीजेपी पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सोशल मीडिया पर बिहार में अपराधों की घटनाओं को उजागर करते हुए राज्य की एनडीए सरकार पर हमला बोलते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की इस कार्रवाई को राजनीतिक जवाबी हमला माना जा रहा है. हालांकि, RJD की ओर से इस पोस्टर पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
राजनीतिक माहौल गरम, वोटर की नजरें फैसले पर
चुनाव से पहले नेताओं पर लगे आरोपों और सोशल मीडिया पोस्टरों ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है. जनता के बीच यह बहस तेज हो गई है कि क्या ऐसे आरोपों वाले नेताओं को फिर से जनप्रतिनिधित्व का अवसर मिलना चाहिए, या कानून को अपना काम करने देना चाहिए.
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