Bihar Bhumi: सुप्रीम कोर्ट ने जमीन की रजिस्ट्री में विक्रेता के नाम से जमाबंदी नियमावली पर पटना हाइकोर्ट के आदेश को पिछले दिनों खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस नये आदेश के बाद अब जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए विक्रेता के नाम पर जमाबंदी या होल्डिंग नंबर की बाध्यता समाप्त हो गयी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पंजीकरण अधिकारी को विक्रेता से स्वामित्व का प्रमाण मांगने का कोई अधिकार नहीं है, जिससे पूरी प्रक्रिया सरल और तेज हो गयी है. इस फैसले से पंजीकरण अधिकारी केवल जमाबंदी के अभाव में पंजीकरण को खारिज नहीं कर सकते, जिससे मनमानी और संभावित धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा.
पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को लागू हुआ था नियम
जमीन रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को नियम लागू किया था. तब इसके खिलाफ कई याचिकाएं हाइकोर्ट में दायर की गयी थीं. कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर ही 25 अक्टूबर को सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. तब से चल रही मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने नौ फरवरी 2024 को सरकार के फैसले को सही करार देते हुए इसे लागू करने का आदेश दिया.
इसके बाद सरकार ने 22 फरवरी 2024 को पत्र जारी कर जमीन बिक्री में जमाबंदी को लागू किया. सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए संपत्ति के लेन-देन को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ी राहत दी है. कोर्ट का यह फैसला संपत्ति के लेन-देन को सरल बनाता है, खासकर उन मामलों में जहां म्यूटेशन की प्रक्रिया पुराने सर्वेक्षणों या प्रशासनिक देरी के कारण अटकी हुई थी.
कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए विक्रेता के नाम पर जमाबंदी या होल्डिंग नंबर का होना अब अनिवार्य नहीं है. यह निर्णय लाखों लोगों को प्रभावित करेगा, खासकर उन्हें जिनकी संपत्ति का म्यूटेशन पुराने रिकॉर्ड या लंबी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के चलते लंबित था.
वैशाली में 15 लाख जमाबंदी पंजी हुई थी वितरित
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस पूर्व के फैसले को पलट दिया है, जिसने जमाबंदी को रजिस्ट्री के लिए आवश्यक शर्त बना दिया था. मालूम हो कि वैशाली जिला 15 लाख से अधिक जमाबंदी के साथ बिहार में शीर्ष जिलों में से एक रहा है, जिसने डिजिटलीकरण और ऑनलाइन जमाबंदी के मामले में पटना को भी पीछे छोड़ दिया था. राजस्व महा-अभियान के तहत वैशाली में 15 लाख 4 हजार 383 जमाबंदी पंजी वितरित की गयी है.
रैयत से लेकर प्राॅपर्टी डीलर सभी खुश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रैयत से लेकर प्राॅपर्टी डीलर काफी खुश हैं. हाइकोर्ट द्वारा बिहार सरकार के जमाबंदी कानून को वैध बताते हुए इस लागू करने के आदेश जारी होने पर कई महीनों तक जमीन की रजिस्ट्री महीनों तक नहीं हुई थी. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जैसे ही रास्ता साफ हुआ लोग रजिस्ट्री कराने में जुट गये थे.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तिथि से पूर्व रैयतों व प्रॉपर्टी डीलर से धड़ल्ले से जमीन खरीद-बिक्री की गयी थी. एक महीने तक रजिस्ट्री कार्यालय में रात 8 से 10 बजे तक पदाधिकारी और कर्मी काम करते दिखे थे. इस संबंध में जिला अवर निबंधक पदाधिकारी धनंजय कुमार राव ने बताया कि रजिस्ट्री के समय खरीद-बिक्री करने वाले लोगों के आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज की जांच की जा रही है. जमाबंदी नियम को लेकर माननीय न्यायालय व विभागीय आदेश के आलोक में रजिस्ट्री की प्रक्रिया होती है.
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