संवाददाता, पटना बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उनके कौशल विकास के लिए जिले के सभी 12 संसाधन केंद्र को विकसित करेगा. इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों की बेहतर सुविधा के लिए इलाज और थेरेपी को भी विकसित किया जायेगा. इन सभी संसाधन केंद्रों पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों को फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, श्रवण क्षमता का आकलन, ब्रेल प्रशिक्षण व्यवहार प्रबंधन, अभिभावक, प्रशिक्षण, विशेष शैक्षणिक स्पोर्ट, दैनिक जीवन कौशल कार्य संचालित किया रहा है. केंद्रों में इंस्ट्रक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों के सहायक उपकरण की उपलब्धा को भी बढ़ायी जायेगी. प्रशिक्षण के बाद बच्चों को दिया जायेगा उपकरण जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पिछले दिनों जिला पदाधिकारी के साथ हुई बैठक में संसाधन केंद्रों पर दिव्यांग बच्चों की दी जा रही सुविधा को लेकर चर्चा हुई थी. दिव्यांग बच्चों के प्रशिक्षण के बाद श्रवण यंत्र, वैशाखी, व्हीलचेयर, ब्रेल उपकरण निशुल्क प्रदान किया जायेगा. इसके अलावा विकलांग छात्र व छात्राओं को स्कूल आने-जाने के भत्ता दिये जाने का भी प्रावधान है. संसाधन केंद्रों में अलग-अलग तिथि के अनुसार विद्यार्थियों को विशेष ट्रेनिंग देने के साथ ही मांग के अनुसार सहायक उपकरण भी दिये जायेंगे. अगले माह 208 दिव्यांग बच्चों को मिलेगा कृत्रिम अंग जिला शिक्षा कार्यालय की अगले माह चिन्हित किये गये 208 दिव्यांग बच्चों को कृत्रिम अंग प्रदान किया जायेगा. 350 दिव्यांग बच्चों को निशुल्क कृत्रिम अंग दिया गया है. अगस्त तक 500 दिव्यांग बच्चों को कृत्रिम अंग मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. जिले में चयनित दिव्यांग बच्चों की संख्या के अनुसार कृत्रिम अंग तैयार करने की प्रक्रिया जारी है. विभाग की ओर से दिव्यांग बच्चों को कृत्रिम पैर, हाथ, श्रवण यंत्र, ट्राइ साइकिल, व्हीलचेयर बांटी जाती है.
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