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Agriculture: जैविक खेती की तरफ किसानों का रुझान, फसल चक्र से हर साल बढ़ेगी कमाई, जानें कृषि वैज्ञानिक से उपाय

Agriculture: पौधारोपण से पहले पौधें की जड़ों को जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडरमा बिरडी से उपचारित करें. फसल को लगाने और काटने का समय इस तरह से सुनिशिचित करना ताकि फसल कीड़ों तथा बीमारियों के प्रमुख प्रकोप से बच सके.

पटना. Agriculture: जैविक खेती की तरफ किसानों का रुझान दिनपर दिन बढ़ता जा रहा है. परम्परागत अपनाए जाने वाले कृषि क्रियाओं में ऐसा क्या परिवर्तन लाया जाए, जिससे कीड़ों तथा बिमारियों से होने वाले आक्रमण को कम किया जाय या रोका जाए. ऐसी विधियां बहुत पहले से चली आ रही है. लेकिन आधुनिक रसायनों के आने से इनका प्रयोग कम होता जा रहा है. इसके अंतगर्त निम्नलिखित तरीके अपनाएं जाते है जैसे, खेतों से फसल अवशेषों का हटाना तथा मेढ़ों को साफ रखना, गहरी जुताई करके उसमें मौजूदा कीड़ों तथा बिमारियों की विभिन्न अवस्थाओं तथा खरपतवारों को नष्ट करना. खाद तथा अन्य तत्वों की मात्रा निर्धारिण के लिए मिट्टी परिक्षण के अनुसार प्रयोग करना. साफ, उपयुक्त एवं प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना तथा बोने से पहले बीज उपचार करना और उचित बीज दर एवं सस्तुति के अनुसार पौध से पौधे के बीच की दूरी रखना.

जैविक खेती की तरफ किसानों का रुझान

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसंधान निदेशक (मुख्य वैज्ञानिक) प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह ने बताया कि पौधारोपण से पहले पौधें की जड़ों को जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडरमा बिरडी से उपचारित करें. फसल को लगाने और काटने का समय इस तरह से सुनिशिचित करना ताकि फसल कीड़ों तथा बीमारियों के प्रमुख प्रकोप से बच सके. पौधें की सही सघनता रखे ताकि पौधे स्वस्थ रहे. समुचित जल प्रबन्धन, उर्वरक प्रबन्धन अर्थात उर्वरक की सही मात्रा उचित समय पर देना होगा. फसल की समय से उचित नमी में सन्तुलित खाद व बीज की मात्रा डाले ताकि पौधे प्रारम्भिक अवस्था में स्वस्थ रह कर खरपतवारों से आगे निकल सके. फसल चक्र अपनाना अर्थात एक ही फसल को उसी खेत में बार बार नहीं लगाना. इससे कई कीड़ों तथा बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है.

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जानें क्या है फसल चक्र

पौधों को समय पर बुवाई करना, खरपतपार का समुचित प्रबन्ध करना. यह पाया गया है कि बहुत से खरपतवार कई तरह की बीमारियों तथा कीडों को संरक्षण देते हैं. बुवाई के 45 दिनों तक खेतों से खरपतवारों को फूल आने की अवस्था से पहले ही निकाल दें. उपरोक्त तरीके से खेती बारी के ढंग विशेष में परिवर्तन करके रोग एवं कीटों को प्रबंधित किया जा सकता है. कृषि रसायनों का प्रयोग अंतिम विकल्प के तौर पर करना चाहिए जब बहुत ही आवश्यक हो. हम रसायनों का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए. जबकि हम इसे पहले विकल्प के रूप में करते है, जो गलत है.

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