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Agriculture: आम की खेती करने वाले किसान अभी से शुरू कर दें तैयारी, मंजर में नहीं लगेगा रोग, मिलेगी बंपर उपज

Agriculture: बिहार में आम के पेड़ पर मंजर फरवरी के द्वितीय सप्ताह में आना प्रारम्भ हो जाता है. यह आम की विभिन्न प्रजातियों तथा उस समय के तापक्रम द्वारा निर्धारित होता है. आम की खेती करने वाले किसान अभी से तैयारी शुरू कर दें ताकि मंजर में रोग नहीं लगे और अधिक पैदवार मिल सकें.

Agriculture: बिहार में कड़ाके की ठंड के बाद अब मौसम ने करवट बदली है. अब हल्की गर्मी पड़ने लगी है. यह समय आम की खेती करने वाले किसानों के लिए अहम है. इसी मौसम में आम का मंजर आना शुरू हो जाता है. आम की अलग-अलग प्रजातियां और उस समय के तापमान पर निर्धारित होता है. इसलिए किसान इन दिनों अपने बाग या पेड़ का खास ध्यान रखेंगे तो अच्छी फसल होगी. आम में मंजर आने से पहले शुष्क मौसम अनुकूल होता है. मंजर आने के समय बारिश सबसे ज्यादा हानिकारक होती है. क्योंकि यह परागण में बाधा डालती है. नवंबर से फरवरी तक फूल आने के समय कोहरे, बादल छाए रहने के कारण फलों की खराब सेटिंग होती है और कीट और रोग की वृद्धि के लिए बहुत ही अनुकूल होता है.

अधिक पैदवार के लिए किसान इन बातों का रखें ख्याल

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसंधान निदेशक (मुख्य वैज्ञानिक) प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह ने बताया कि आम के फूलने और फल लगने की प्रक्रिया काफी हद तक मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है. आम के फूलों के लिए आदर्श मौसम की स्थिति उच्च आर्द्रता और 30-37 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान है. तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि के बाद, ठंडे तापमान की अवधि से फूल आना शुरू हो जाता है. आम के पेड़ आमतौर पर देर से सर्दियों या शुरुआती वसंत में खिलते हैं. हालांकि, अगर इस समय अवधि के दौरान मौसम आदर्श नहीं है, तो यह फूल आने में देरी कर सकता है या रोक सकता है. उदाहरण के लिए, यदि ठंडे तापमान की अवधि के दौरान यह बहुत गर्म या बहुत ठंडा है, तो फूल आने में देरी होगी. यदि यह गर्म तापमान अवधि के दौरान बहुत अधिक शुष्क है, तो फूलों के फल लगने की संभावना कम होगी.

गुजिया कीट को मारने के लिए इस दवा का करें छिड़काव

बिहार में आम में मंजर, फरवरी के द्वितीय सप्ताह में आना प्रारम्भ हो जाता है. यह आम की विभिन्न प्रजातियों तथा उस समय के तापक्रम द्वारा निर्धारित होता है. आजकल बिहार में मीली बग (गुजिया) की समस्या साल दर साल बढ़ते जा रही है. इस कीट के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि दिसम्बर- जनवरी में बाग के आस पास सफाई करके मिट्टी में क्लोरपायरीफास 1.5 डी. धूल @ 250 ग्राम /पेड़ का बुरकाव कर देना चाहिए. गुजिया कीट पेड़ पर न चढ़ सकें. इसके लिए एल्काथीन की 45 सेमी की पट्टी आम के मुख्य तने के चारों तरफ सुतली से बांध देना चाहिए. ऐसा करने से यह कीट पेड़ पर नही चढ़ सकेगा. यदि आप ने पूर्व में ऐसा नहीं किया है, तो गुजिया कीट पेड़ पर चढ़ गया हो तो ऐसी अवस्था में डाएमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनाल्फोस 25 ई.सी.@ 1.5 मीली दवा / लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

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आम के बाग से अच्छी उपज के लिए जरुर करें ये काम

आम के बाग से अच्छी उपज के लिए आम के बाग में मधुमक्खी की कालोनी बक्से रखना अच्छा रहेगा, इससे परागण अच्छा होता है तथा फल अधिक मात्रा में लगता है. जिन आम के बागों का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है. वहां पर हापर या भुनगा कीट बहुत सख्या में हो जाते है. सूर्य का प्रकाश बाग में जमीन तक पहुंचने पर इन कीटों की संख्या कम हो जाती है. वहीं बाग घना होता है वहां भी इन कीटों की सख्या ज्यादा होती है. पेड़ पर जब मंजर आते है तो ये मंजर इन कीटों के लिए बहुत ही अच्छे खाद्य पदार्थ होते है, जिनकी वजह से इन कीटों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है. इन कीटों की उपस्थिति का दूसरी पहचान यह है कि जब हम बाग के पास जाते है तो झुंड के झुंड कीड़े पास आते है. यदि इन कीटों को प्रबंन्धित न किया जाय तो ये मंजर से रस चूस लेते है, जिससे मंजर झड़ जाता है.

समय रहते हुए इन दवा का करें छिड़काव

आम के बाग में जब प्रति बौर 10-12 भुनगा दिखाई दे, तब हमें इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 1 मीली दवा / 2 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए. यह छिड़काव फूल खिलने से पूर्व करना चाहिए. वहीं बाग में आने वाले मधुमक्खी के किड़े प्रभावित होते है. जिससे परागण कम होता है और उपज प्रभावित होती है. पाउडरी मिल्डयू/ खर्रा रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि मंजर आने के पूर्व घुलनशील गंधक @ 2 ग्राम / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए. जब पूरी तरह से फल लग जाय तब इस रोग के प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाजोल @ 1 मीली0/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. जब तापक्रम 35०C से ज्यादा हो जाता है तब इस रोग की उग्रता में कमी अपने आप आने लगती है. टिकोलो (आम के छोटे फल) को गिरने से रोकने के लिए आवश्यक है कि प्लेनोफिक्स @ 1 मी.ली. दवा/ 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

आम के बाग में मक्खी की समस्या हो तो इस दवा का करें छिड़काव

गुम्मा व्याधि से ग्रस्त बौर को काट कर हटा देना चाहिए. आम के फल जब मटर के दाने के बराबर हो जाये तो सिंचाई प्रारम्भ कर देना चाहिए. उसके पहले बग में सिंचाई नहीं करना चाहिए अन्यथा फूल झड़ सकते है. फल मटर के दाने के बराबर हो जाने के बाद बाग की मिट्टी को हमेशा नम रहना आवश्यक है. अगर मिट्टी में नमीं नहीं रहेगी तो फल के झड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है. जहां पर मक्खी के समस्या गंभीर हो, वहां इसके नियंत्रक के लिए मिथाइल पूजीनाल फेरोमन ट्रैप @ 10 ट्रैप / हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. आम के बाग के आस-पास यदि ईट के गढ्ढे / बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है. इसके नियंत्रण के लिए बोरेक्स @ 10 ग्राम / लीटर का छिड़काव अप्रैल माह के अंत में करना चाहिए. वहीं अगर बाग में तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले धुन की समस्या हो तो क्विनालफोस 25 ई.सी. @ 2 मीली दवा / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

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