पटना. अभिनय में कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं जिसे बयान नहीं किया जा सकता, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. यह बात मंगलवार को इप्टा की ओर से आयोजित 90 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अभिनेता व नाट्य निर्देशक एमके रैना ने कहीं. उन्होंने अपने रंग-संवाद को आगे बढ़ाते हुआ कहा कि भावनाओं को समझने के लिए ही एक अभिनेता को अपनी भावनाओं और पूरे देह को चौबीस घंटे जाग्रत रखना चाहिए. अभिनेता, रंगकर्मी को एक सजग पाठक होने के साथ ही सवाल करने वाला भी होना चाहिए. कार्यशाला में 25 युवक और युवतियों ने हिस्सा लिया. प्रतिभागी आगामी 90 दिनों तक रंगमंच और अभिनय कला को सीखेंगे.इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी जावेद अख्तर खां,विनोद कुमार, अभिनेत्री मोना, इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख्तर, बिहार इप्टा के महासचिव फीरोज अशरफ खां और पटना इप्टा की वरिष्ठ अभिनेत्री नूतन मौजूद रहीं.
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‘अभिनय भावनाओं का खेल’ : एमके रैना
अभिनय में कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं जिसे बयान नहीं किया जा सकता, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. यह बात मंगलवार को इप्टा की ओर से आयोजित 90 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अभिनेता व नाट्य निर्देशक एमके रैना ने कहीं.
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