पटना : 16 दिसंबर 2012 के निर्भयासामूहिकदुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा को शुक्रवार को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर भानुमति की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि जिस तरह के मामले में फांसी आवश्यक होती है, यह मामला बिल्कुल वैसा ही है. सुप्रीम कोर्टकेइस फैसले का स्वागत करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि मैं समझता हूं इसका समाज पर एक अच्छा प्रभाव पड़ेगा.
Bohat hi accha faisla hai, main samjhta hun iska ek accha parbhaav padega: Bihar CM Nitish Kumar on #Nirbhayaverdict pic.twitter.com/yrWsGZApEq
— ANI (@ANI) May 5, 2017
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्र सरकार, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों ने खुशी जताई है. भाजपा, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइएम) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, मेरी संपूर्ण संवदेना भारत की साहसी बेटी के बहादुर परिजनों के साथ है. उन्होंने कहा कि इन परिजनों का संघर्ष यौन हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली प्रत्येक महिला के संघर्ष का प्रतीक बन गया है.
वहीं, सीपीआइएम नेता बृंदा करात ने कहा कि वह नीतिगत रूप से फांसी के खिलाफ हैं, लेकिन इस मामले में सख्त सजा जरूरी थी. महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. मेनका गांधी ने कहा, मुझे खुशी है कि फांसी की सजा को बरकरार रखा गया, काश यह फैसला और जल्दी आया होता. उधर, रविशंकर प्रसाद ने कहा, देश के कानून के राज के लिये बहुत बड़ा दिन है. जो निर्णय किया गया है मैं उससे बहुत सुकून महसूस कर रहा हूं.