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सूबे की जल विद्युत परियोजनाओं को मिलेगी गति

पहल : विद्युत परियोजनाओं का असेसमेंट आइआइटी रूड़की से कराया पटना : राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं के दिन बदलने वाला है. अभी चालू 13 लघु परियोजनाओं में 54 मेगावाट बिजली की उत्पादन होती है. सभी जल विद्युत परियोजना पर बिहार राज्य विद्युत निगम लि का नियंत्रण है. निगम में अपनी विद्युत परियोजनाओं का असेसमेंट […]

पहल : विद्युत परियोजनाओं का असेसमेंट आइआइटी रूड़की से कराया
पटना : राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं के दिन बदलने वाला है. अभी चालू 13 लघु परियोजनाओं में 54 मेगावाट बिजली की उत्पादन होती है. सभी जल विद्युत परियोजना पर बिहार राज्य विद्युत निगम लि का नियंत्रण है. निगम में अपनी विद्युत परियोजनाओं का असेसमेंट आइआइटी रूड़की से कराया है. जल्द ही उसके सुझावों पर अमल होगा. इधर सीएजी ने निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है. सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी का वित्तीय प्रबंधन सही नहीं है. उत्पादन लागत से काफी कम दर पर बिजली बेची जाती है.
जल विद्युत निगम की स्थापना 1982 में हुई थी. निगम के अधीन अभी 13 लघु जल विद्युत परियोजनाएं चालू हैं. इनसे 54.30 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.
16 परियोजना निर्माणाधीन हैं. हालांकि इनकी प्रगति काफी धीमी विद्युत परियोजनाएं सोन और कोसी नदी पर स्थित है. जानकारी के अनुसार सरकार सौर ऊर्जा के साथ-साथ पनबिजली को भी बढ़ावा दे रही है. इसी परिपेक्ष्य में जल विद्युत परियोजनाओं का असेसमेंट आइआइटी रूड़की से कराया गया. उस रिपोर्ट की सरकार समीक्षा कर रही है और जल्द ही रिपोर्ट की अनुशंसा पर आगे का कार्यक्रम चालू वित्तीय वर्ष में लागू करेगी. इधर सीएजी ने निगम के कार्यकलाप खासकर इसके वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़ा किया है
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2016 के दौरान बिजली उत्पादन का लागत 8.13 से 12.36 रुपये प्रति यूनिट था. इस अवधि में बिजली कंपनी को को उनसे 2.49 रुपये प्रति यूनिट के दर पर बिजली बेचा. इस पांच साल के दौरान निगम ने 213.14 मिलियन यूनिट बिजली की बिक्री की और निगम को 147 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ. सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 2001-02 से निगम अपने वार्षिक लेखा को अंतिम रूप नहीं दे पाया. इसके चलते विद्युत विनियामक आयोग के पास टैरिफ याचिका दाखिल नहीं हो पाया. इसके अलावा परियोजनाओं को पानी की कमी भी झेलनी होती है इसके चलते क्षमता के अनुसार उत्पादन भी नहीं हो पाता है. सीएजी की रिपोर्ट में अनुशंसा की है कि परियोजना को पर्याप्त पानी मिलना चाहिए. साथ ही वास्तविक उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को पाने का भी प्रयास करना होगा.

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