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बिहार का इतिहास बेजोड़, कुछ लोग कर रहे हैं दुष्प्रचार : नीतीश

पटना : मुख्यमंत्री कुमार ने कहा कि बिहार का इतिहास और यहां की आतिथ्य परंपरा बेजोड़ है. प्रकाश पर्व और मानव शृंखला के बाद बिहार और बिहारियों का मान और बढ़ा है, लेकिन बिहार में रहने वाले गिनती के लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं. पता नहीं इसमें उनको किया आनंद आता है. बिहार का असली […]

पटना : मुख्यमंत्री कुमार ने कहा कि बिहार का इतिहास और यहां की आतिथ्य परंपरा बेजोड़ है. प्रकाश पर्व और मानव शृंखला के बाद बिहार और बिहारियों का मान और बढ़ा है, लेकिन बिहार में रहने वाले गिनती के लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं. पता नहीं इसमें उनको किया आनंद आता है. बिहार का असली मिजाज और स्वभाव वही है जबसे लोगों ने प्रकाश पर्व में देखा.

मुख्यमंत्री शनिवार को गांधी मैदान में 14 फरवरी तक चलने वाले सीआरडी द्वारा आयोजित पुस्तक मेला का उद्घाटन कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने आयोजकों से कहा कि अगले साल होनेवाले 25 वें पुस्तक मेला का अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजित करें, सरकार सभी तरह का सहयोग करेगी. उन्होेंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी करनेवालों पर कार्रवाई होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना पुस्तक मेला की विशिष्ट पहचान रही है. इतने लोग किसी पुस्तक मेला में नहीं आते. सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में जब लोगों की पुस्तक खरीदने में दिलचस्पी घटी है वैसे में भी बिहारियों की दिलचस्पी पुस्तक खरीदने में है. पुस्तकों के प्रति दिलचस्पी हमारे जेहन और स्वभाव में है. बिहार का इतिहास गौरवशाली है.

प्रकाश उत्सव से लोग प्रसन्न हैं. पंजाब में रहने वाले बिहारियों की इज्जत बढ़ गयी है. बिहार के लोगों ने जिस आत्मनुशासन के साथ प्रकाश पर्व और कालचक्र पूजा में आतिथ्य सत्कार और सेवाभाव दिखाया उससे बिहार के नाम का डंका बज रहा है. सरकार ने अपना कर्तव्य और धर्म समझ कर काम किया लेकिन उससे अधिक यहां के लोगों का सहयोग रहा. यह धारणा भी बदली कि सरकार कोई काम राजनीतिक फायदे और वोट के लिए करती है. कालचक्र पूजा में 92 देश को लोग आये थे. सरकार को जनादेश लोगों की सेवा करने के लिए मिला है और उसे हम कर रहे हैं.
घर-घर तक पहुंचेगा गांधी का संदेश
मुख्यमंत्री ने मानव शृंखला की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें चार करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए. नशाबंदी के प्रति लोगों का समर्थन अद्भूत था. इसमें 90 साल के लोग तक शरीक हुए. चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पर अप्रैल से काम शुरू हो रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि घर-घर तक गांधी का संदेश पहुंचेगा. बच्चों को गांधीजी के व्यक्तित्व और कृतित्व से अवगत कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा का प्रसार जरूरी है. अब राज्य में स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या एक फीसदी से भी कम है. पहले यह साढ़े बारह फीसदी था. पुस्तक मेला साक्षरता के अभियान को आगे बढ़ायेगा. शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है. सम्मलित प्रयास से ही शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि परीक्षा की व्यवस्था दुरुस्त हुई है. गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई हुई है और आगे भी होगी. शिक्षा व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ करने नहीं दिया जायेगा. कार्रवाई और जनचेतना ही गड़बड़ी पर अंकुश लगाता है. इसके पहले मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर पुस्तक मेले का उद्घाटन किया. उद्घाटन समारोह में अचल गुलाटी, एनके झा, सत्यनारायण अमरेंद्र झा, अमित झा, विनोद अनुपम ने भी अपने विचार रखे. संचालन रत्नेश्वर ने किया.

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