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जागरूकता : जो मरदा पीये दारू ओकर जोरू लगावे झाड़ू…
पटना : जो मरदा पीये दारू… ओकर जोरू लअ झाड़ू… मुंबई ये आया मेरा दोस्त… बोतल को चूर करो… वो खुद लिखती हैं. खुद धुन देती हैं, गुनगुनाती हैं और मौका लगता है, तो नाचने के साथ खुद गाती भी है. उन्हें खुशी है कि बिहार में शराब बंद होने के बाद उनके बच्चे स्कूल […]
पटना : जो मरदा पीये दारू… ओकर जोरू लअ झाड़ू… मुंबई ये आया मेरा दोस्त… बोतल को चूर करो… वो खुद लिखती हैं. खुद धुन देती हैं, गुनगुनाती हैं और मौका लगता है, तो नाचने के साथ खुद गाती भी है. उन्हें खुशी है कि बिहार में शराब बंद होने के बाद उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं. घर में पैसे की बचत हो रही है. गांधी मैदान में रिहर्सल के लिए आयी महिलाएं उस वक्त ठुमके लगाना नहीं भूलीं, जब उनको बिहार के नक्शा में शामिल होने का मौका मिला. वार्ड नंबर 22 की आंगनबाड़ी सहायिका पूनम देवी अभी तक 50 से अधिक शराबबंदी को लेकर गाना लिख चुकी है. पूनम देवी ने बताया कि शराबबंदी होने से सभी जगहों पर खुशहाली है. अब घरों में शराब नहीं दूध आ रहा है. इससे घरों का माहौल बदल गया है.
पूनम देवी ने बताया कि मेरे पति शराब पीते थे. इससे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी. जैसे-तैसे चल रहा था. लेकिन, शराबबंदी के बाद मेरे घर में दूध आने लगा. पति को अब शराब की जगह दूध पीने को देती हूं. उनकी तबीयत ठीक रहती है. वहीं, मीना कुमारी ने बताया कि अब मेरे बच्चे स्कूल जा रहे हैं.
पांच साल में शराब से ससुर, पति और देवर की हुई मौत : आंगनबाड़ी नंबर 117 की मंजू कुमारी के ससुर के साथ पति और देवर की मौत शराब पीने से हो गयी थी. मंजू कुमारी ने बताया कि पांच साल 1995 से 2000 के बीच में तीन लोग शराब पीने के कारण हमें छोड़ कर चले गये. लेकिन अब मैं निश्चिंत हूं.
500 महिलाएं नशामुक्त बिहार की मेहंदी रचा पहुंची : जीविका की दीदी हो या आंगनबाड़ी सहायिका के साथ आशा कार्यकर्ता सभी के हाथों में पिया की मेहंदी नहीं. बल्कि, बिहार को नशा मुक्त करवाने की मेहंदी रची हुई थी.
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