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छठ महापर्व : पटना बांस घाट व राजापुर के रास्ते में पांच-पांच इंच धंस रहे पैर

पटना : शुक्रवार की सुबह से ही छठ करनेवाले गंगा स्नान को आने लगे थे, लेकिन प्रशासन की तैयारी माकूल नहीं हुई थी. घाटों पर नगर निगम, बुडको और सरकार के अन्य विभाग अपने-अपने क्षेत्र के काम में लगे हैं, कहीं घाट पर तो कहीं रास्ते पर काम चलता रहा. अभी तक हालात ऐसे हैं […]

पटना : शुक्रवार की सुबह से ही छठ करनेवाले गंगा स्नान को आने लगे थे, लेकिन प्रशासन की तैयारी माकूल नहीं हुई थी. घाटों पर नगर निगम, बुडको और सरकार के अन्य विभाग अपने-अपने क्षेत्र के काम में लगे हैं, कहीं घाट पर तो कहीं रास्ते पर काम चलता रहा. अभी तक हालात ऐसे हैं कि बांस घाट और कलेक्ट्रेट घाट के रास्ते भले ही काफी चौड़े हैं, लेकिन रास्ते में धूल और बालू की रेत में पैर धंसने की समस्या बरकरार है. जबकि, महेंद्रु और कलेक्ट्रेट घाट पर पार्किंग की समस्या चलते श्रद्धालुओं को पैदल काफी दूर तक चलना होगा.
बांस घाट अौर राजपुर पुल घाट बांस घाट तैयार हो चुका है. घाट की चौड़ाई गंगा के पाट पर डेढ़ किमी तक है. शहर से इसकी दूरी साढ़े तीन किमी है. रास्ता 40 फुट तक चौड़ा है, लेकिन रास्ते में बालू और मिट्टी है. लोगों के पैर अभी भी पांच-पांच इंच तक बालू में धंस रहे हैं.
घाट पर हैंडपंप नहीं लगा है. यहां पांच सौ से अधिक वाहन लगाने की क्षमता है. घाट की चौड़ाई पांच सौ मीटर है. लेकिन, रास्ता बालू से पटा है, यहां वाहन पार्किंग करने की क्षमता दो सौ की है. यहां भी हैंडपंप नहीं लगे हैं.
कलेक्ट्रेट और महेंद्रू घाट : कलेक्ट्रेट घाट पर रास्ते का निर्माण कर बुडको ने बड़ा काम किया है. पुराने घाटे से नये घाट की दूरी लगभग डेढ़ किमी है. लेकिन वहां जाने के लिए आम लोगों को अपने वाहन की पार्किंग गांधी मैदान में करनी होगी. एेसे में पैदल चलनेवालों को तीन किमी तक चलना होगा. शुक्रवार की शाम तक घाटों पर वाच टावर व रास्ते की मरम्मती का काम चलता रहा. घाटों पर लगे पताखे फब रहे हैं. पानी में 25 फुट तक सुरक्षित है. महेंद्रू घाट पर जाने के लिए लगभग चार किमी तक चलना होगा. गंगा के पास दोनों घाट मिले हुए हैं.
कृष्णा घाट : कृष्णा घाट को प्रशासन ने खतरनाक घोषित कर दिया है. बैरिकेडिंग भी हुई है, लेकिन शुक्रवार की सुबह लोगों ने वहां स्नान किया और बैरिकेडिंग तोड़ दी गयी. जिसे शुक्रवार को फिर से बुडको ने बैरिकेड किया. हालांकि, कृष्णा घाट के बीच में सीढ़ी पर रास्ते पर 10 से 15 लोग आराम से छठ कर सकते हैं.
विकसित हुआ है एक नया घाट : गांधी घाट सबसे सुंदर घाटों में से एक है. बुडको और स्थानीय पूजा समितियों की आेर से लाइटिंग के बाद इसकी खूबसूरती और बढ़ गयी है. इस बार कृष्णा घाट व गांधी घाट के बीच में एक छोटा नया घाट विकसित किया गया है. यहां पांच सौ लोग छठ कर सकते हैं.
बढ़ गया है रानी घाट का दायरा : इस बार रानी घाट का दायरा बढ़ गया है. बाढ़ के बाद समतल जगह बढ़ गयी है. लगभग एक हजार लोग यहां छठ कर सकते हैं.
चार सौ रेसक्यूवर और 70 बोट की तैनाती
पटना : छठ पर प्रशासन की तैनाती के साथ शुक्रवार को नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ पूरी टीम भी तैयार हो गयी. पटना सिटी से लेकर दीघा तक के घाटों को एनडीअारएफ ने चार बेस स्टेशन गांधी घाट, कुर्जी घाट, दीघा व गाय घाट पर कंट्रोलिंग के साथ लग गयी है. घाटों पर सुरक्षा की जिम्मेवारी 9वीं बटालियन के कमांडेंट विजय सिन्हा के निर्देशन में किया जा रहा है. घाटों पर एनडीअारएफ 70 बोट के साथ चार सौ रेस्क्यूवर के साथ उतरी है.
हर बोट पर तीन-तीन जवानों को लगाया गया है. पांच बोट के बीच एक विशेषज्ञ गोताखोर काे लगाया गया है. जो ऑक्सिजन सेलेंडर के साथ रहेगा और किसी भी परिस्थिति में गंगा के तल तक जाकर लोगों को बचाने का काम करेगा. एनडीआरएफ ने तीन मेडिकल पोस्ट गाय घाट, गांधी घाट और दीघा घाट पर बनाया है. हर पोस्ट पर एक डॉक्टर व प्राथमिक उपचार की दवाएं रहेंगी. इसके अलावा दो वाटर एंबुलेंस भी रहेगी. हर घाट पर एनडीआरएफ का जवान घाट पर एक बोया और सिटी के साथ रहेगा.
पटना : शुक्रवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे दीघा के गेट नंबर 93 घाट पर कुछ महिला श्रद्धालु बरतन व गेहूं धो रही थीं. उनके साथ कुछ अन्य लोग भी थे. जब उनसे पूछा गया कि घाट तक आने में उन्हें कोई परेशानी भी हुई, तो उन्होंने कहा कि नहीं आने में कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन, घाट का हाल ठीक नहीं है.
घाट से पानी में जाने के पूर्व कई जगहों पर कीचड़ है. सामने जिला नियंत्रण कक्ष दिखा. वहां तीन लोग बैठे थे. हमने पूछा सर, यहां डीएम साहब ने चापाकल लगाने का निर्देश दिया था कहां लगा है बतायेंगे. तभी एक व्यक्ति ने कहा हम बुडको से हैं. हमें चापाकल से कोई मतलब नहीं है. पीएचइडी वाले से पूछ लीजिए.
अच्छा आप यही बता दीजिए कि बैरिकेडिंग आगे भी होगी. क्योंकि, पानी कम हो रहा है. घाट से पानी जाने में कीचड़ है, लोग फिसल सकते हैं. तभी एक ने कहा कि हमारा काम हो गया है. हमारा घाट ठीक है. पास में एक चापाकल दिखा. थोड़ी देर चलाने पर उसमें से पानी निकला. पर, पानी पीने योग्य नहीं था. इस घाट पर पार्किंग की जगह काफी है. दो हजार गाड़ियां पार्क हो सकती हैं. कुछ ऐसा ही हाल कुर्जी से लेकर नासरिगंज तक का है.
कुर्जी व बालू पर घाट मेन रोड से काफी दूर : कुर्जी व बालू पर घाट की स्थिति ठीक है, लेकिन यह घाट मेन रोड से काफी दूर है. रास्ता को चौड़ा किया गया है. गाड़ियां घाट तक पहुंच जायेंगी.
बालू पर घाट के पहले गंगा के पानी के कारण दलदल है, लेकिन उसमें बालू भर कर बोरे डाले जा रहे हैं. घाट के पहले पार्किंग के लिए काफी जगह है.
दीघा, बिंद टोली, मीनार घाट का निरीक्षण : दीघा क्षेत्र में गंगा का जल स्तर बढ़ने से कटाव हुआ. कई जगहों पर काफी गहराई है. ऐसे में बैरिकेडिंग की गयी है. यहां पांच तालाब खोदे गये हैं. तालाब व घाट के किनारे बिजली, वाच टावर व सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है.

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