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फरक्का बराज सबसे बड़ी समस्या, विशेषज्ञों की सलाह को माने सरकार : सीएम नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को बिहार की बाढ़ की समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के लिए कहा है. शनिवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा कि गंगा को निर्मल तभी बनाये रखा जा सकता है, जब इसे अविरल रूप से बहने दिया जाये. उन्होंने केंद्र सरकार की हल्दिया से इलाहाबाद वाटर-वे योजना पर […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को बिहार की बाढ़ की समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के लिए कहा है. शनिवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा कि गंगा को निर्मल तभी बनाये रखा जा सकता है, जब इसे अविरल रूप से बहने दिया जाये. उन्होंने केंद्र सरकार की हल्दिया से इलाहाबाद वाटर-वे योजना पर भी सवाल उठाते हुए इसे बिहार के लिए बेहद नुकसानदायक बताया है. सीएम ने गंगा नदी की तलहट्टी पर जमा गाद (सिल्ट) को जल्द से जल्द हटाने के लिए नेशनल सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी तुरंत तैयार करने को कहा है. इसकी मांग काफी समय पहले से चली आ रही है.
फरक्का बराज सबसे बड़ी समस्या
सीएम ने कहा कि गंगा के भविष्य को लेकर उनका मत भी वही है, जो शुरुआत से ही कई एक्सपर्ट का रहा है. फरक्का बराज की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार की बाढ़ की मुख्य वजह फरक्का बराज और इसके कारण जमा हुए गंगा नदी में गाद है. उन्होंने कहा कि वे फरक्का बराज पर शुरुआती दौर से ही सवाल उठाते रहे हैं, क्योंकि इसके कारण ही आज की यह अत्यंत विकट परिस्थिति उत्पन्न हुई है. केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य गंगा की सफाई करनी है. जबकि मेरा मानना है कि निर्मलता बिना अविरलता के नहीं आ सकती है. अगर गंगा की धारा को अविरल बहने नहीं दिया गया, तो इसे निर्मल भी नहीं बनाया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट के साथ फरक्का बराज से जुड़े कई महत्वपूर्ण एक्सपर्ट के लिंक को भी शेयर किया है, जिसका संदर्भ उन्होंने अपने लेख में उपयोग किया है.साउथ एशिया नेटवर्क आन डैम, रीवर्स और पीपुलस लिंक पर फरक्का बैराज से जुड़े पांच विशेष लेख हैं, जिनमें मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री के समक्ष बिहार की बाढ़ के कारणों और इसके लिए फरक्का बराज पर जतायी चिंता को सही करार दिया गया है.
हल्दिया से इलाहाबाद नेशनल वाटर-वे से बढ़ेगी बिहार की समस्या
मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में केंद्र सरकार की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण योजना वाटर वेज का जिक्र किया है. इस योजना को भी गंगा नदी के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इसके लिए इलाहाबाद और हल्दिया के बीच एक श्रृंखला में कई बराज बनाने की योजना है. ताकि पानी में परिचालन सुचारू ढंग से हो सके. परंतु इन बराजों के कारण बिहार की समस्या और बढ़ेगी. बिहार पहले से ही फरक्का बराज के कारण बाढ़ की समस्या को जूझ रहा है. अब इन बराजों के कारण यह समस्या ज्यादा बढ़ेगी. इनका निर्माण होने से गंगा की निरंतर धारा को बहने में बाधा बढ़ेगी. इसकी वजह से यह पवित्र नदी एक बड़ी झील में तब्दील हो जायेगी, जिससे पूरा इकोलॉजी और पर्यावरण बरबाद हो जायेगा. इस तरह के बराज बनाने की योजना बिना पर्यावरण, सामाजिक और इकोलॉजिकल प्रभाव से जुड़ी रिपोर्ट का अध्ययन किये और इनका संदर्भ लिये नहीं कराया जाना चाहिए. गंगा की अविरलता बनाये रखकर ही इसकी निर्मलता बनायी रखी जा सकती है.
विशेषज्ञों की सलाह को माने सरकार
मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि वह सिर्फ एकलौते व्यक्ति नहीं हैं, जो फरक्का बराज पर सवाल उठा रहे हैं. कई विशेषज्ञ इसके अस्तित्व पर शुरुआत से ही सवाल उठाते आ रहे हैं. उन्होंने लिखा है कि वह एक्सपर्ट तो नहीं हैं, लेकिन वह विशेषज्ञों और जानकारों की बतायी उन बातों को अवश्य दोहराना चाहते हैं, जिसमें फरक्का बराज के गुण-दोष को विस्तार से बताया गया है. इससे पहले भी लगातार कई बार नेशनल सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी तैयार करने से संबंधित मुद्दे को उठाया जाता रहा है. फरक्का के कारण गंगा की पेट में जो गाद जमा हो गया है, उसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं. इसकी वजह से गंगा का तल ऊंचा हो गया है. इसकी वजह से इस पवित्र नदी में पानी ढोने की क्षमता कम हो रही, यह घुमावदार होती जा रही और इसके खुलकर सांस लेने की शक्ति भी कम हो गयी है. इस वजह से गंगा उथली और छिछली भी होती जा रही है. इस वजह से समुचित और यथोचित नेशनल सिल्ट प्रबंधन पॉलिसी तैयार करना बेहद जरूरी है, जिससे पूरे इकोलॉजी और इको-सिस्टम बिना किसी बाधा के बना रहे.
फरक्का बैराज बनाते समय इसके सील्ट को लेकर इंजीनियरों ने प्लान नहीं किया. यह एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की मांग पर ध्यान देने की जरूरत है. हम गाद का नदियों और नदी तंत्र की कार्यप्रणाली में महत्व को समझ नहीं पाये हैं. इसकी अनदेखी से नदियों पर बहुत खराब असर हो रहा है. एक ओर जहां डेल्टा क्षेत्र गाद आपूर्ति से वंचित हो रहा है. वहीं, यही गाद नदी तल और बांधों में जमा होकर भारी नुकसान कर रहा है.
डा पीके परूआ, रिटायर जनरल मैनेजर फरक्का बराज
फरक्का बांध की उपयोगिता, कीमत, लाभ और ऊपरी एवं निचले क्षेत्रों में इसके प्रभाव को लेकर हमें जल्द एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मूल्यांकन करने की सख्त आवश्यकता है. अन्य विकल्पों के अतिरिक्त फरक्का बांध के संचालन और ढांचे को हटाने के विकल्पों को भी इस मूल्यांकन के दायरे में रखना चाहिए.
हिमांशु ठक्कर, विशेषज्ञ

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