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सरकारीकरण के फैसले को जल्द लागू करे सरकार
390 कोटि के स्कूलों का मामला पटना : 26 वर्ष बाद भी 390 कोटि के विद्यालयों के सरकारीकरण करने के निर्णय के बावजूद उनमें कार्यरत शिक्षक और कर्मी भुखमरी के शिकार हैं. इन विद्यालयों के प्रति सरकार शुरू से ही उदासीन रवैया अपना रही है. यह कहना है अराजकीय प्रारंभिक शिक्षक संघर्ष मोरचा के महामंत्री […]
390 कोटि के स्कूलों का मामला
पटना : 26 वर्ष बाद भी 390 कोटि के विद्यालयों के सरकारीकरण करने के निर्णय के बावजूद उनमें कार्यरत शिक्षक और कर्मी भुखमरी के शिकार हैं. इन विद्यालयों के प्रति सरकार शुरू से ही उदासीन रवैया अपना रही है. यह कहना है अराजकीय प्रारंभिक शिक्षक संघर्ष मोरचा के महामंत्री श्रवण कुमार का. वे गुरुवार को गर्दनीबाग स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी एंड इंस्टीट्यूट में आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. सेमिनार में प्रारंभिक शिक्षा के विकास में गैरसरकारी प्रारंभिक विद्यालयों, उनमें कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों की भूमिका, उनकी दशा-दिशा एवं उनकी समस्याओं व समाधान पर चर्चा हुई.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण एवं विधि विभाग के मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा रहे. उन्होंने शिक्षकों की समस्या को सुना और कहा कि उनकी जायज मांगों को सरकार के पास रखेंगे, ताकि 353 गैर सरकारी विद्यालयों के अधिग्रहण करने के फैसले को लागू कराया जा सके. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में 54 हजार गैर सरकारी विद्यालय थे.
जिनमें वर्ष 1973 से 1980 तक 53 हजार 500 विद्यालयों का सरकारीकरण कर दिया गया. इसके बाद 1983-84 के बीच शेष बचे 500 विद्यालयों में से 110 विद्यालयों का अधिग्रहण कर लिया गया. इसके बाद शेष बचे 390 विद्यालयों को 1989 से 90 में कैबिनेट में इसके सरकारीकरण की मंजूरी दे दी गयी. इसके बाद 12 करोड़ का वार्षिक बजट भी पास हुआ और राज्यपाल द्वारा लिखित रूप में इसे सरकारीकरण करने की बात भी कही गयी है.
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