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11782 छोटे-बड़े अस्पताल, ड्रेसर के पद 1922, खाली 1596

अस्पतालाें के बराबर भी ड्रेसर के पद नहीं शशिभूषण कुंवर पटना : राज्य के सरकारी अस्पतालों में अब ड्रेसर नहीं रह गये हैं. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में कुल 1922 पद ड्रेसरों के स्वीकृत कर रखे हैं. स्वीकृत बल की तुलना में अभी महज 326 ड्रेसर विभिन्न अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं. स्वीकृत संख्या […]

अस्पतालाें के बराबर भी ड्रेसर के पद नहीं
शशिभूषण कुंवर
पटना : राज्य के सरकारी अस्पतालों में अब ड्रेसर नहीं रह गये हैं. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में कुल 1922 पद ड्रेसरों के स्वीकृत कर रखे हैं. स्वीकृत बल की तुलना में अभी महज 326 ड्रेसर विभिन्न अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं. स्वीकृत संख्या के अनुसार वर्तमान में कुल 1596 ड्रेसर के पद रिक्त हैं.
1991 के बाद ड्रेसरों के नियमित बहाली ही नहीं हुई हैं. राजकीय अस्पतालों में मरीजों की मरहम-पट्टी के लिए सरकार द्वारा ड्रेसरों के पद स्वीकृत किये गये. स्वास्थ्यकर्मियों में ड्रेसर का पद इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उसके ऊपर ही अस्पताल के मशीन व उपकरणों को जीवाणु व विषाणु रहित बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त होता है. स्थिति यह है कि अस्पतालों की संख्या के बराबर भी ड्रेसरों के पद स्वीकृत नहीं है.
पटना मेडिकल काॅलेज अस्पताल को ही देखा जाये तो यहां पर ड्रेसरों के कुल 27 पद स्वीकृत हैं जिसमें नियमित व संविदा पर मिला कर महज 12 लोग कार्यरत हैं जबकि 15 पद अभी तक खाली है. बिहार राज्य चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने बताया कि राज्य के दर्जन भर ऐसे जिले हैं जहां पर एक भी ड्रेसर तैनात नहीं है. सबसे बड़ी बात है कि स्वास्थ्य विभाग को यह भी नहीं मालूम है कि ड्रेसर तृतीय श्रेणी या चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है. इनके लिए तैयार की गयी नियमावली में कई विसंगतियां है.
पहले योग्यता सातवीं पास करने के बाद प्रशिक्षण की व्यवस्था थी. नियमावली में मैट्रिक उत्तीर्ण व्यक्ति इसके लिए योग्य माना गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा नर्सों, लैब टेक्निशियनों, एक्स-रे टेक्निशियनों की नियुक्ति मेधा सूची के आधार पर की गयी है. स्वास्थ्य विभाग नियमावली में ड्रेसरों के लिए परीक्षा लेने की बात करता है. इधर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डा केपी सिन्हा ने बताया कि ड्रेसरों की नियुक्ति को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है.

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