पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को अलोकतांत्रिक और गैरसंवैधानिक बताते हुएसोमवार को कहा कि केंद्र ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले की अनदेखी की है जिसमें कहा गया था कि किसी को विधानसभा में बहुमत प्राप्त है या नहीं इसका फैसला सदन में होना चाहिए.
बिहार विधानसभा परिसर में आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश ने आज यह बातें कहीं. सीएम नीतीश ने कहा कि इस देश में अनेक बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है और उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में बहुत ही स्पष्ट फैसला दिया है कि किसी को विधानसभा में बहुमत प्राप्त है या नहीं इसका फैसला सदन के फ्लोर पर होना चाहिए.
उन्हाेंने कहा कि उत्तराखंड में जब विधानसभा की बैठक आहूत की जा चुकी थी और 28 मार्च का समय वहां की सरकार को मिल चुका था तो वैसी परिस्थिति में उससे पहले वहां राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का कोई औचित्य नहीं था. इससे परहेज करना चाहिए. यह अलोकतांत्रिक है. उन्होंने बताया कि 10वीं अनुसूची में दल बदल का जो नया कानून जोड़ा गया है वह राजग शासनकाल में जोड़ा गया था जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार थी और अरुण जेटली उस मामले में सबसे अधिक सक्रिय रहे थे.
नीतीश ने कहा कि 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत कोई भी दल बदल नहीं कर सकता हैं. कोई भी दो तिहाई से कम संख्या होने पर दल बदल के बारे में नहीं सकता. यह 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाने के समान है. उन्होंने कहा कि यह दल बदल को बढ़ावा दिए जाने जैसा है जो कि संविधान का पूरी तरह से उल्लंघन है. केंद्र में बैठे लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इसे लागू करें और इसकी रक्षा करें नहीं तो इसे समाप्त कर दें.