21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अार्थिक सर्वेक्षण में दावा, बिहार की वार्षिक वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत

पटना : बिहार सरकार द्वारागुरुवारको जारी आर्थिक सर्वेक्षण में हाल के दशक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में निरंतरता को दर्शाये जाने के साथ वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच इस राज्य की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर 10.52 प्रतिशत रही जो कि देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच लगभग सर्वाधिक है. बिहार विधानमंडल […]

पटना : बिहार सरकार द्वारागुरुवारको जारी आर्थिक सर्वेक्षण में हाल के दशक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में निरंतरता को दर्शाये जाने के साथ वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच इस राज्य की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर 10.52 प्रतिशत रही जो कि देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच लगभग सर्वाधिक है.

बिहार विधानमंडल के आज से शुरू बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा बिहार विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 में हाल के दशक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में निरंतरता को दर्शाये जाने के साथ वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच इस राज्य की अर्थव्यवस्था 10.52 प्रतिशत की वार्षिक दर से विकसित हुई जो कि देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच लगभग सर्वाधिक है.

बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2012-13 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय संपूर्ण भारत के औसत का 37.0 प्रतिशत थी जो 2014-15 में बढ़कर 40.6 प्रतिशत हो गयी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 6.02 प्रतिशत रही है. यह विशेष महत्व की बात है क्योंकि राज्य की लगभग 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है.

सिद्दीकी ने बताया कि वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच 15 प्रतिशत से अधिक विकास दर दर्ज करने वाले क्षेत्र में संचार :25.38 प्रतिशत:, निबंधित विनिर्माण :19.31 प्रतिशत:, निमार्ण :16.58 प्रतिशत:, बैकिंग एवं बीमा :17.70 प्रतिशत: और परिवहन, भंडार एवं संचार :15.08 प्रतिशत: शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार करों के विभाज्य पूल में बिहार का हिस्सा 10.91 प्रतिशत से घटकर 9.66 प्रतिशत रह गया. इसका अर्थ चौदहवें वित्त आयोग की अवधि के दौरान बिहार को लगभग 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान है.

सिद्दीकी ने कहा कि पूंजीगत निवेशों मे प्रचुर वृद्धि :8,954 करोड़ रुपये: के कारण बिहार का राजकोषीय घाटा 2010-11 के 3,970 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-15 में 11,178 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इसके बावजूद सकल राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम द्वारा निर्धारित 3 प्रतिशत की सीमा के पर्याप्त नीचे है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में राजस्व प्राप्ति में गत वर्ष से 9,499 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई और यह 78,418 करोड़ रुपये हो गयी. वहीं 2014-15 में राजस्व व्यय 10,093 करोड़ रुपये बढ़कर 72,570 करोड़ रुपये हो गया. राज्य व्यय में वृद्धि का कारण विकास मूलक व्यय में 57 प्रतिशत :5,703 रुपये: की वृद्धि है.

सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक के पांच वर्षों के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियां 44,532 करोड़ रुपये से 1.76 गुनी बढ़कर 78,418 करोड़ रुपये हो गयी. इसके साथ ही कर और करेतर को मिलाकर अपना कुल राजस्व इस अवधि में 20 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा और 10,855 करोड़ रुपये से 22,309 करोड़ रुपये हो गया.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में कुल पूंजीगत परिव्यय 18,150 करोड़ रुपये था. इसमें से 14,728 करोड़ रुपये का व्यय आर्थिक सेवाओं पर किया गया जिसका लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा :4,177 करोड रुपये: सड़कों एवं पुलों की अधिसंरचना के निर्माण पर खर्च हुआ. सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत परिव्यय ।,674 करोड़ रुपये था. इसमें से 19 प्रतिशत हिस्सा :315 करोड़ रुपये: राज्य में स्वास्थ्य अधिसंरचनाओं के निर्माण और उनमें सुधार पर, 53 प्रतिशत :885 करोड़ रुपये: जलापूर्ति एवं स्वच्छता में सुधार पर तथा 16 प्रतिशत :263 करोड रुपये: शैक्षिक अधिसंरचना के निर्माण पर खर्च हुआ.

सिद्दीकी ने कहा कि राज्य सरकार पर बकाया ऋण 2010-11 में 47,285 रुपये था जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 23.2 प्रतिशत के बराबर था. वर्ष 2014-15 में बकाया ऋण बढ़कर 74,570 करोड़ रुपये पहुंच गया लेकिन ऋण और सकल राज्य घरेलू उत्पाद के बीच का अनुपात काफी गिरकर 18.5 प्रतिशत रह गया जो बारहवें वित्त आयोग द्वारा 28 प्रतिशत की निर्धारित सीमा से काफी नीचे है. यह स्पष्ट दर्शाता है कि ऋण समस्या सरकार के बिल्कुल नियंत्रण में है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel