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दवा का दर्द : डेढ़ घंटे तक मंत्री बंधक

पीएमसीएच. दवा नहीं मिलने के कारण मरीजों के परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री पर निकाला गुस्सा पटना : मरीजों के लिए स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के उद्घाटन के लिए पीएमसीएच पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री को मरीज के परिजनों का कोपभाजन बनना पड़ा. दवा नहीं मिलने से आक्रोशित परिजनों ने न सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री का घेराव किया,बल्कि उनके खिलाफ […]

पीएमसीएच. दवा नहीं मिलने के कारण मरीजों के परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री पर निकाला गुस्सा
पटना : मरीजों के लिए स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं के उद्घाटन के लिए पीएमसीएच पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री को मरीज के परिजनों का कोपभाजन बनना पड़ा. दवा नहीं मिलने से आक्रोशित परिजनों ने न सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री का घेराव किया,बल्कि उनके खिलाफ जम कर नारे भी लगाये. डेढ़-दो घंटे के हंगामे के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री उनसे मिले बिना गाड़ी पर बैठ कर रवाना हो गये.
कार्यक्रम शुरू होने के थोड़ी देर बाद ही आरएसबी हॉल के बाहर मरीज के परिजन इकट्ठे होने लगे. समारोह में स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह, प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर, बीएमएसआइसीएल के मुख्य महाप्रबंधक हरीश पाठक, प्राचार्य डॉ एसएन सिन्हा, अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद मौजूद थे. परिजनों में दवा व व्यवस्था को लेकर काफी आक्रोश था. हंगामे के बीच ही कार्यक्रम चलता रहा. इस बीच जब परिजनों की संख्या बढ़ने लगी, तो पीरबहोर थाना प्रभारी निसार अहमद पहुंचे और किसी तरह से परिजनों को धकेल कर पीछे किया.
बमुश्किल पीछा छुड़ा कर िनकले मंत्री
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद आयुक्त ने परिजनों का आक्रोश शांत करने के लिए एक-एक कर बुलाया, लेकिन मरीजों की भीड़ इतनी अधिक थी कि आयुक्त ने सिर्फ तीन मरीजों की बात सुनी. इसके बाद जैसे स्वास्थ्य मंत्री बाहर निकले परिजनों ने उन्हें घेर लिया. काफी मशक्कत के बाद स्वास्थ्य मंत्री वहां से निकले. बावजूद परिजनों का आक्रोश शांत नहीं हुआ और वह काफी देर तक हंगामा करते रहे.
परिजनों की पीड़ा
दो माह पहले पति यहां भरती हुए. उस वक्त उनकी आंत में तकलीफ थी और बाद में फंट गयी. बाद में हाइड्रोसिल में भी संक्रमण हो गया. इलाज के दौरान एक भी दवा नहीं दी गयी. सूई भी बाहर से लानी पड़ती है. दवा के नाम पर कुछ नहीं और खाना के नाम पर केला मिलता है.
– मरीज दिनेश चौधरी के परिजन
पति की पेशाब नली का ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन के बाद टांका टूट गया था और हर दिन ड्रेसिंग कराने के लिए पैसा देना पड़ता है. दवा की भी व्यवस्था नहीं है. डॉक्टर व नर्स तक बात नहीं सुनते हैं.
– मरीज भोला नाथ बैद्य के परिजन

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